Printer kitne prakar ke Hote Hain : कंप्यूटर में 2 तरह के डिवाइस लगे रहते है जिनकी सहायता से हम कंप्यूटर से बाच चीत कर पाते है
कीबोर्ड एक इनपुट डिवाइस है जिसकी सहायता से हम कंप्यूटर को कमांड देते है और स्क्रीन एक आउटपुट डिवाइस के रूप में इस्तेमाल होता है जो हमें कंप्यूटर द्वारा किए गए काम की जानकारी देता है
इसी तरह हम कंप्यूटर से इंटरैक्ट करते है, अब बात आती है की प्रिंटर क्या है, स्कैनर क्या है यह सब कैसे डिवाइस है
देखिये हम प्रिंटर की सहायता से कंप्यूटर द्वारा दिया गया रिजल्ट प्रिंट करवाते है या सॉफ्ट कॉपी को हार्ड कॉपी में बदलते है
एक तरह से यह हमें OUTPUT ही देता है यह चाहे आउटपुट हमारी ही सॉफ्ट कॉपी को हार्ड कॉपी में बदल के दे या कंप्यूटर के आउटपुट को ही प्रिंट कर दे
आपको यह हैरानी होगी जानकार की दुनिया के सबसे पहले प्रिंटर 1450 में बना था जिसे द गुटेनबर्ग प्रेस कहा जाता था
समय के साथ प्रिंटर की बनावट काम करने के तरीके और कीमत में बदलाव देखने को मिला है और आजके समय में हमने प्रिंटर को ज्यादा से ज्यादा असर दार और सस्ता बनाने की कोशिश की है
हमें प्रिंटर की ज़रुरत बहुत रहती है क्योंकि हमारा सारा डाटा आजके समय में डिजिटल हो गया है यानी हमारे पास सॉफ्ट कॉपी से ही सब काम होता है,
आज फॉर्म भरना है तो भी वह ऑनलाइन मोड में मिले फॉर्म के ज़रिए डिजिटल भरा जाता है, पर हार्ड कॉपी भी जगह जगह सबमिट होती है आज भी लोगो का विश्वाश हार्ड कॉपी की कलेक्शन से उठा नही है
आज भी बहुत जगह हार्ड कॉपी जमा करनी रहती है पर फॉर्म मिलता कैसे है ऑनलाइन जिसके कारन हमें प्रिंटर की ज़रुरत रोजाना ज़िन्दगी में बहुत बार पड़ती है,
प्रिंटर कुछ लोगों की ज़िन्दगी का ही हिस्सा बन चूका है इसीलिए आज हम Printer के प्रकार और ये कैसे काम करता है
Printer kitne Prakar ke Hote Hain in Hindi
निचे दिए चार्ट में आप देख सकते है की मार्किट में Printer के कितने प्रकार होते है अब हम ने इन सभी प्रिंटर के बारे में विस्तार में जानकारी इस लेख में साझा की है
यदि आप भी प्रिंटर के प्रकार के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो स्क्रॉल डाउन करे और इस लेख का आनंद उठाये
पहले के समय में हम सिर्फ शब्दों को प्रिंट करवा सकते थे फिर धीरे धीरे चित्रों को भी प्रिंट करवाना मुमकिन होने लगा, और आजके समय में हम ब्लैक एंड वाइट (Black & white) फोटो की जगह कलर फुल (Colorful) फोटो भी निकलवा पाते है
प्रिंटर को उनकी बनावट और उनके काम करने के तरीके ही वजह से दो भागों में बाटा गया है एक है इम्पैक्ट प्रिंटर ( Impact ) और दूसरा है नॉन इम्पैक्ट (Non Impact) प्रिंटर
- Impact Printer (इम्पैक्ट प्रिंटर)
- Non Impact Printer (नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर)
आइए विस्तार में जानते है की Printer kitne prakar ke hote hain अथवा उनका कैसे इस्तेमाल होता है
Impact Printer (इम्पैक्ट प्रिंटर) – Impact Printer kitne Prakar ke hote Hain
IMPACT एक अंग्रजी का शब्द है जिसका अर्थ होता है प्रभाव, और इम्पैक्ट प्रिंटर का अर्थ होता है ऐसे प्रिंटर जो प्रभाव डालते है
इनकी कार्य करने की प्रक्रिया मैकेनिकल है यानी यह किसी धातु की सहताया से कागज़ पे शब्दों का छाप छोड़ते है, यह एक ऐसा तरीका है जिसमे कागज को और छाप छोड़ने वाली चीज़ को एक दुसरे के कांटेक्ट में आना ही पड़ता है
इनमे छोटे छोटे पिन बने होते है जिसपे अक्षरों की छाप बनी होती है जिसे मैकेनिकल फाॅर्स से पेज पर छाप डलवाई जाती है
इनपे धातु पर शब्दों के आकार के पिन लगे होते है, पिन से मिलके शब्द बनते है, और इन पिन को को श्याही से भरे रिबन से गुज़ारा जाता है जिसके बाद इनका सामना पेज से करवा दिया जाता है जिसकी वजह से पेज पर अक्षर की छाप पड़ जाती है
IMPACT प्रिंटर के प्रकार
इम्पैक्ट प्रिंटर मुख्य रूप से दो प्रकार के होते है
- करैक्टर प्रिंटर
- लाइन प्रिंटर
यह दोनों प्रिंटर आगे अपने अपने प्रकार में विभाजित है
Character Printer (करैक्टर प्रिंटर)
यह प्रिंटर एक एक करैक्टर को प्रिंट करता है और यह पेज के कांटेक्ट में आके काम करता है, जिसके कारन यह इम्पैक्ट प्रिंटर का प्रकार है
यह एक एक करके एक एक अक्षर को प्रिंट करके शब्द बनाता है और एक एक शब्द को मिला के लाइन बन जाती है
करैक्टर प्रिंटर के प्रकार
इसके मुख्य दो प्रकार है
- डेज़ी व्हील प्रिंटर
- डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर
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Daisy Wheel Printer ( डेज़ी व्हील प्रिंटर )
इस प्रिंटर का नाम इस प्रिंटर के फूल के आकार का होने के कारण पड़ा है, यह डेज़ी फूल के जैसे आकार में था , इसका निर्माण 1970 में हुआ था और 1972 तक इसका इस्तेमाल टाइप राइटर, वर्ड प्रोसेसर और कंप्यूटर में होने लगा था
यह कुछ सालों में ही अच्छी क्वालिटी के टेक्स्ट लिखने के लिए इस्तेमाल होने लगा था, आजके समय में यह प्रिंटर कुछ ही इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में देखने को मिलता है
इसमें सभी अक्षर एक चरखे जैसे आकार के धातु पर लिखे रहते है जिसके बाद सही अक्षर का चुनाव करके क्लिक करना रहता है
फायदे | नुकसान |
यह सस्ता और कम खर्चे में रिपेयर होता है | इस प्रिंटर में प्रिंट की स्पीड काफी धीरी होती है |
इस से कार्बन कॉपी बना सकते हैं। | इसमें ग्राफिक्स प्रिंट नहीं कर सकते। |
इसका मैंटेनस कम है | कॅरक्टर भी लिमिटेड नंबर में होते है |
इसकी क्वालिटी अच्छी होती है | डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर के तुलना में धीमा है |
इसका फैनफोल्ड पेपर और भारी पेपर ग्रेड का के लिए भी उपयोग कर सकते हैं। | प्रिंट के समय काफी नॉइज़ करता है |
डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर की तुलना में इसकी बेहतर प्रिंट गुणवत्ता है | डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर से महंगा है |
डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर से अधिक रिलाबल है । | इस प्रिंटर में प्रिंट की स्पीड काफी धीरी होती है |
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Dot Matrix Printer (डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर)
यह एक अच्छा प्रिंटर है इसमें सबसे ख़ास बात यह है की यह कम पिन के इस्तेमाल से भी काम करता है और यह ज्यादा जगह नही लेता है, इनका काम करने का तरीका कांटेक्ट प्रिंटर जैसा ही है
बस इसमें कम पिन रहती है जो की एक से ज्यादा काम करती है, यह बिन्दुओं से मिलके अक्षर का निर्माण करता है, यह बहुत तेज़ी से काम करता है
आज भी Dot Matrix Printer का इस्तिमाल बैंक, सरकारी दफ़्तरों एंव सरकारी स्कूलो में किया जाता है
फायदे | नुकसान |
प्रिंटिंग कॉस्ट की लागत कम होती है | इस प्रिंटर से नॉइस (ज्यादा आवाज़ ) आता है |
यह प्रिंटर विश्वसनीय और टिकाऊ है | प्रिंट निकलने की स्पीड धीमी होती है |
ये प्रिंटर टेक्स्ट और ग्राफिक्स दोनों को प्रिंट कर सकता हैं | इसमें आप लिमिटेड कलर प्रिंट निकाल सकते है |
यह प्रिंटर बाजार में आसानी से मिल जाता है। | आप इस प्रिंटर को 1 घंटे से ज्यादा लगातार इस्तिमाल नहीं कर सकते है |
यह नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर के विपरीत, प्रिंटआउट की कार्बन कॉपी बना सकते हैं | इस प्रिंटर को बार-बार सर्विसिंग की आवश्यकता होती है |
अन्य प्रकार के प्रिंटर की तुलना में मेंटेनेंस की लागत कम होती है | इसमें पेपर जैमिंग की समस्या आप को देखने मिल सकती है |
प्रिंटआउट अचानक बंद होने के बजाय धीरे-धीरे फीका पड़ जाता है। इसलिए, प्रिंट STOP पहले रिबन बदलने के लिए काफी समय मिलता है |
Line Matrix Printer (लाइन मैट्रिक्स प्रिंटर)
यह प्रिंटर भी कांटेक्ट प्रिंटर का ही प्रकार है बस यह एक एक अक्षर की जगह पूरी लाइन में शब्दों को लिखने की आज़ादी देता है जिसके कारन ही इसे लाइन प्रिंटर के नाम से जाना जाता है
यह इस समय बहुत कम जगह ही इस्तेमाल हो रहे है इनका इस्तेमाल वहाँ पर होता था जहां पर बहुत ज्यादा स्पीड की ज़रुरत पड़ती है और जहां पर बहुत ज्यादा टेक्स्ट लिखना पड़ता है
फायदे | नुकसान |
स्पीड अच्छी होने के कारन ज्यादा प्रिंट कॉन्टिटी के लिए उपयोगी है | ग्राफिक्स प्रिंट करने के लिए उपयुक्त नहीं है |
प्रिंट और डिवाइस की लागत भी कम है | कम गुणवत्ता वाले प्रिंटआउट निकलते है |
अन्य प्रिंटर मॉडल के तुलना में ज्यादा टिकाऊ है | प्रिंट के दौरान काफी आवाज़ करता है |
इसके हार्डवेयर पार्ट सस्ती उपलब्ध हैं | निरंतर पेपर फॉर्म अब आसानी से उपलब्ध नहीं हैं क्योंकि इसकी डिमांड कम है |
औद्योगिक वातावरण के लिए उपयुक्त है | |
अन्य प्रिंटर प्रकारों की तुलना में धूल और अत्यधिक तापमान प्रतिरोधक है |
इसके भी दो प्रकार है
- ड्रम प्रिंटर
- चैन प्रिंटर
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ड्रम प्रिंटर
यह प्रिंट करने के एक प्रकार के हिसाब से प्रिंट करते है, ये भी इम्पैक्ट प्रिंटर के अंतर्गत आते है, इनमे ड्रम का इस्तेमाल पेपर को पकड़ने के लिए होता है
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चैन प्रिंटर
यह हॉरिजॉन्टल लाइन में एक तरफ से टेक्स्ट प्रिंट करने के लिए होता है यह बहुत ही तेज़ प्रिंटर है जो की 1 सेकंड में 2500 तक के शब्द प्रिंट करता है
इम्पैक्ट (Impact) प्रिंटर के फायदे और नुक्सान
फायदे | नुकसान |
इनमे इंक वाले रिबन का इस्तेमाल होता है | इन प्रिंटर्स में मैकेनिकल वर्क ज्यादा होता है, जिसके कारन यह सही क्वालिटी में प्रिंटिंग नही कर पाते है और पेज पर भी दबाव का छाप पड़ जाता है |
यह लगातार पेज प्रिंट कर सकते है | यह नॉन कांटेक्ट प्रिंटर से धीरे होते है और इनकी क्वालिटी भी ज्यादा अच्छी नही होती है |
यह सस्ते होते है और इनका इस्तेमाल उस जगह होता है जहां बहुत ज्यादा मात्रा में चीज़ों को प्रिंट करना होता है | यह मैकेनिकल वर्क करते है जिसके कारन छोटे होने के बाद भी यह भारी होते है |
यह या तो अक्षर अक्षर या तो लाइन लाइन प्रिंट करते है और यह फिजिकल कांटेक्ट के बाद ही प्रिंट कर सकते है | इसमें पेपर को एक एक करके डालना पड़ता है जिसके कारन यह बहुत समय ले लेते है |
यह साइज़ में छोटे होते है |
Non Impact Printer (नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर) – Non Impact Printer kitne prakar ke hote hain
इसके काम करने की प्रक्रिया अलग होती है जिसके कारन ही इसको अलग प्रिंटर की श्रेणी में डाला गया है, इस प्रिंटर के काम करने की प्रक्रिया में सीधे सीधे फिजिकल कांटेक्ट की ज़रुरत नही होती है
बिना फिजिकल कांटेक्ट के ही इंक को एक फॉर्मेट में कागज़ पर गिराया जाता है और प्रेस्सिंग के बाद वह कागज पर छप जाती है
आजके समय में हम दुकानों में इसी तरह के प्रिंटर को देखते है, यह अच्छी क्वालिटी में फोटो प्रिंट करने में काम आते है जो की हम इम्पैक्ट प्रिंटर का इस्तेमाल करके अच्छी क्वालिटी की फोटो नही प्रिंट कर पाते है
सबसे पहले आपके पूरे पेज पर इंक फैला ली जाती है, जिसके बाद लेज़र ड्रिप के इस्तेमाल से उन्ही इंक को चार्ज किया जाता है
जिसको पेपर से चिपकाना है और लेज़र प्रिंटर में पहले से एक छाप डाली जाती है, जिसके कारन वह चुनी हुई इंक को चार्ज करते है जिसके कारन वह इंक पेपर से चिपक जाती है और बाकी जगह की इंक झड जाती है
नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर के प्रकार
यह मुख्य रूप से तीन प्रकार के है और आजके समय में इनका ही इस्तेमाल होता है क्योंकि यह अच्छी क्वालिटी में फोटो प्रिंट करने के लिए इस्तेमाल होते है
- लेज़र प्रिंटर
- इंकजेट प्रिंटर
- थर्मल प्रिंटर
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लेज़र प्रिंटर (Laser Printer)
यह इलेक्ट्रोस्टेटिक चार्ज की सहायता से प्रिंट करता है, जिसके कारन इसे पेज से कांटेक्ट बनाने की ज़रुरत नही रहती है यह बिना फिजिकल कांटेक्ट के भी एकदम अच्छी क्वालिटी में फोटो प्रिंट कर सकता है
यह बहुत ही तेज़ी से अक्षर और साथ में बहुत अच्छी क्वालिटी की फोटो प्रिंट करने के काम आता है, इसमें ज़ेरोग्राफिक प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है
सबसे पहले इसमें घुमते हुए ड्रम (Toner) पर जिस चीज़ को प्रिंट करना है उसकी छवि डाली जाती है
उसके बाद छवि के हिसाब से सादे कागज़ पर प्रकाश डाला जाता है जिसके बाद प्रकाश चालकता आवेशित क्षेत्रों में से जिन क्षेत्रों पर प्रकाश पड़ रहा होता है वहाँ से आवेशों को हटा देता है
इसके बाद सूखी स्याही के कण सादे कागज़ पर गिराए जाते है और कागज़ के आवेशित कण में जाके चिपक जाते है इस प्रकार इलेक्ट्रोस्टेटिक द्वारा कागज को प्रिंट किया जाता है
फायदे | नुकसान |
इंजेक्ट और डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर से अच्छी गुणवत्ता के प्रिंट इस प्रिंटर से आते है | अन्य प्रिंटर की तुलना में इसकी क़ीमत ज्यादा हो सकती है |
इस प्रिंटर से प्रिंट तेज़ निकलते है | कलर टोनर के कार्ट्रिज (टोनर) महंगे होते हैं |
कम लागत में अधिक प्रिंट निकलने में उपयोगी | टोनरके अंतर्गत जो इंक होती है वो इंसानों के लिए हानिकारक है |
कागज कम गुणवत्ता का इस्तिमाल कर सकते है एव सस्ते लागत में कागज उपलब्ध | कार्ट्रिज रिफिलिंग का खर्चा लागु होता है |
आजकल ज्यादातर जगह जैसे ऑफिस, स्कूल, कॉलेज, दुकान . इत्यादि जगह Laser Printer का इस्तिमाल किया जाता है एव हम खुद इस प्रिंटर का इस्तिमाल करते है
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इंकजेट प्रिंटर (Inkjet Printer )
इसपर INK को कागज पर छिड़क कर प्रिंटिंग की जाती है, यह प्रिंटर बहुत अच्छी रेसोलुशन की फोटो प्रिंट करने के काम आता है, यह 1200 x 1440 की रेसोलुशन की फोटो प्रिंट करने के काम आता है
यह 5 x 7 इंच से ज्यादा बड़ी फोटो प्रिंट करने के काम आता है, यह ज्यादा से ज्यादा 5760 x 1440 की फोटो प्रिंट करने के काम आता है, यह प्रिंटरवो एक बार में 100 से ज्यादा प्रिंट निकाल सकते है
इसमे एक प्रिंट हेड होता है, जिसमे बहुत छोटे छोटे नोजल होते है जो पेपर पर प्रिंटिंग का काम करते है यह नोजल ही पेपर पर इंक डालने का काम करते है, जैसे जैसे पेपर प्रिंट हेड से गुजरता है वैसे वैसे प्रिंट हेड के द्वारा प्रिंटिंग होती है
फायदे | नुकसान |
कम लागत में उपलब्ध है | प्रिंट की स्पीड धीमी होती है |
फोटो प्रिंटिंग की गुणवत्ता अच्छी होती है | इस प्रिंटर को रेगुलर इस्तिमाल करना जरूरी है वरना इनके नोज़ल ब्लॉक हो जाते है |
मानव शरीर के लिए इसका कोई नुकसान नहीं है | प्रिंट के लिए High Quality पेपर की जरूरत होती है |
एनवीरोंमेन्टली फ्रेंडली प्रोडक्ट है | बार बार मेंटेनेंस निकालता है और इंक कार्ट्रिज भी रिफिल करना पड़ता है |
छोटो – मोटे कामों के लिए अच्छा विकल्प है |
यदि आप पर्सनल इस्तिमाल के लिए कोई कलर प्रिंटर देख रहे है तो आप इंजेक्ट प्रिंटर खरीद सकते है लेकिन हम आप को टैंक वाला इंजेक्ट प्रिंटर खरीदने का सुजाव देंगे
क्यों की उसकी इंक काफी देर तक टिकती है और उसे रिफिल करना भी आसान होता है वही अगर आप cartridge वाला प्रिंटर खरीदते है तो वे जल्दी ख़तम होता है और उसे बारे बारे रिफिल करना भी महंगा गिर सकता है
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थर्मल प्रिंटर (thermal printer)
थर्मल का मतलब होता है, तापमान अथवा हीट का इस्तेमाल करके फोटो प्रिंट करते है, इस प्रिंटर की फोटो बनाने की क्वालिटी, स्पीड के कारन इसका इस्तेमाल मार्किट में समय के साथ बढ़ता ही जा रहा है
इसमें इंक और और टोनर का इस्तेमाल नही होता है इसमें थर्मल पेपर का इस्तेमाल ज्यादा होता है, इसको इस्तेमाल करना आसान होता है, और प्रिंट करने समय इसमें आवाज़ भी नही आती है
इसका सबसे बड़ा नुक्सान यह है की यह भी और प्रिंटर जैसे रंगों को सही से प्रिंट नही कर पाता है
नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर के फायदे और नुक्सान
फायदे | नुकसान |
यह बहुत अच्छे से प्रिंटिंग करते है, यह किसी भी तस्वीर को भी एकदम सही तरीके से और अच्छी क्वालिटी में प्रिंट करते है | यह प्रिंटर अन्य प्रिंटर के तुलना में बड़े होते है |
यह फिजिकली कांटेक्ट में नही होते है जिसके कारन इसमें हैवी मशीनरी का इस्तेमाल नही होता है | इनकी कीमत अन्य प्रिंटर से ज्यादा हो सकती है |
इन प्रिंटर की स्पीड तेज़ होती है | |
इसमें एक बार में ही कागज़ का बंडल डाला जा सकता है | |
यह अच्छे क्वालिटी में कलर वाली फोटो भी प्रिंट करते है |
3डी प्रिंटर (3D Printers)
इस प्रिंटर को हम प्रिंटर के प्रकार में जोड़ नहीं सकते है क्यों की यह किसी कागज, पेपर पर प्रिंट नहीं देता है याने की इस प्रिंटर के मदत से हम सॉफ्ट कॉपी को हार्ड कॉपी में कन्वर्ट नहीं कर सकते है
लेकिन फिर भी इसका नाम 3D printers रखा गया है क्यों की इस प्रिंटर के मदत से हम 3डी प्रोडक्ट, वस्तु या किसी मॉडल का ढांचा बना सकते है,आप निचे दिए इमेज में कुछ प्रोडक्ट देख सकते है जिसे 3D printers के मदत से बनाये गए है
अब यह 3डी मॉडल बनाने के लिए अलग अलग तरह के पालीमेर्स, प्लास्टिक मेटल और अन्य मटेरिल लगते है जैसे कलर एव पेंटर जिसके वजह से फिलाल यह प्रिंटर आप को भारत में ज्यादा जगह देखने के लिए नहीं मिल सकते है
इसके अलावा इस प्रिंटर से किसी भी मॉडल या प्रोडक्ट को बनाने में ज्यादा खर्चा लगता है इसीलिए इस प्रोडक्ट या प्रिंटर को व्यापार के तुलना में फिलाल नहीं देखा जा रहा है लेकिन भविष्य में इस प्रिंटर की डिमांड काफी बढ़ने वाली है
FAQs : Printer kitne Prakar ke Hote hain
Q1: प्रिंटर क्या है?
प्रिंटर एक आउटपुट डिवाइस है जोकि सॉफ्ट कॉपी को हार्ड कॉपी में बदलता है, आप ऐसे समाझ सकते है की जिस चीज़ को आप लैपटॉप या कंप्यूटर में बस देख सकते है
उसे आप हार्ड कॉपी के रूप में भी अपने पास सेव कर सकते है, आप किसी भी फोटो या टेक्स्ट या डॉक्यूमेंट जो की आपके लैपटॉप या कंप्यूटर में है उसे प्रिंट करके इस्तेमाल कर सकते है
Q2: प्रिंटर कितने प्रकार के होते है?
प्रिंटर मुख्य रूप से दो प्रकार के होते है
- इम्पैक्ट प्रिंटर
- नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर
आजके समय में इनका इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है, यह महंगे होते है पर यह लेज़र और इलेक्ट्रॉनिक्स पर काम करते है जिसके कारन इन्हें फिजिकल कांटेक्ट से पेपर प्रिंट करने की ज़रुरत नही पड़ती है यह आराम से बिना फिजिकल कांटेक्ट के पेपर प्रिंट कर सकते है
Q3 : इम्पैक्ट प्रिंटर के प्रकार?
इसके मुख्य दो प्रकार के है
- करैक्टर प्रिंटर
यह एक एक करके अक्षर को प्प्रिंट करता है
- लाइन मैट्रिक्स प्रिंटर
यह एक एक लाइन करके प्रिंटिंग करने में समक्ष है
Q4 : नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर के प्रकार?
यह मुख्य तीन प्रकार के है
- लेज़र प्रिंटर
- इंकजेट प्रिंटर
- थर्मल प्रिंटर
Q5 : प्रिंटर का इस्तेमाल कहा होता है?
प्रिंटर का इस्तेमाल हर उस जगह होता है जहां पर सॉफ्ट कॉपी को हार्ड कॉपी में बदलने की ज़रुरत पड़ती है, जैसे की ऑफिस, स्कूल, कॉलेज, कैफ़े आदि स्थानों में होता है
Q6 : सब से अधिक कौनसा प्रिंटर इस्तिमाल किया जाता है
वर्तमान में लेज़र प्रिंटर और इंजेक्ट प्रिंटर का इस्तिमाल ज्यादा किया जाता है
Conclusion
हमें आशा है की आपको हमारा यह आर्टिकल Printer kitne prakar ke hote hain अच्छा लगा होगा, इस आर्टिकल में हमने लगभग प्रिंटर के हर प्रकार के टाइप के बारे में बात की है और वह कैसे काम करते है यह भी हमने देखा
प्रिंटर एक आउटपुट डिवाइस है जो की हमें हमारे कंप्यूटर का आउटकम या हमारे ही किसी काम की सॉफ्ट कॉपी को हार्ड कॉपी में बदलने के काम आता है
यदि आपको कोई आशंका हो या आप हमें इस आर्टिकल से जुड़े कोई सवाल पूछना है तो हमें कमेंट करे हम ज़ल्द से ज़ल्द आपके कमेंट का रिप्लाई देने का प्रयास करेंगे
हमारे इस आर्टिकल को पूरा पढने के लिए दिल से शुक्रिया