इलेक्ट्रॉन (Electron) की खोज किसने की – Electron Ki Khoj Kisne Ki thi

Electron Ki Khoj Kisne Ki – हमारें चारों ओर दिखने वाला पदार्थ बहुत सारें परमाणुओं से मिलकर बना होता है जो कई छोटे-छोटे अविभाज्य कणों के संयोग से मिलकर बनता है जिसे परमाणु कहा जाता है। हर परमाणु अणुओं से बना होता है

जिसके चारों ओर इलेक्ट्रॉन (Electron) घूमते रहते है

ऐसा माना जाता है कि परमाणु इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन प्रोटोन की सहायता से बने होते है, जो परस्पर आवेशों को संतुलित करता है। किसी भी परमाणु में से इलेक्ट्रॉन को आसानी से निकाला जा सकता है

लेकिन प्रोटॉन को नही। स्टूडेंट्स को उनके कैमिस्ट्रि और फ़िज़िक्स बूक में परमाणु संरचना के बारें में पढ़ना होता है जिसमें परमाणु और उसके अणुओं को विस्तार से जानना आवश्यक हो जाता है।

आप भी अगर इंटरनेट पर इलेक्ट्रॉन की खोज किसने की, कब और कैसे हुई? के बारें में सम्पूर्ण जानकारी जानना चाहते है तब इस ब्लॉग लेख में आपको electron ki khoj kisne ki के बारें में सम्पूर्ण जानकारी मिलने वाला है।

 

इलेक्ट्रॉन (Electron) की खोज किसने की – Electron Ki Khoj Kisne Ki thi

 

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इलेक्ट्रॉन क्या होता है – What is Electron in Hindi

छोटे-छोटे अणुओं से मिलकर बना परमाणु में नाभिक के चारों ओर इलेक्ट्रॉन चक्कर लगाते रहता है जिस पर ऋणात्मक वैद्युत आवेश (-) लगा होता है

जिसे e- के द्वारा सूचित किया जाता है। परमाणुओं में इलेक्ट्रॉन विभिन्न त्रिज्याओं के गोलाकार गोले में मौजूद होते हैं।

इलेक्ट्रॉन सबसे हल्का स्थिर उपपरमाण्विक कण है। इसका एक ऋणात्मक आवेश है जो विद्युत आवेश की मूल इकाई है। जिसे हम उपपरमाण्विक कण (subatomic particles) भी कह सकते है।

जो किसी परमाणु के केंदक से जुड़ा या मुक्त हो सकता है। इलेक्ट्रॉन, लेप्टॉन परिवार के फ़र्स्ट जेनेरेशन का सदस्य होता है जो गुरुत्वाकर्षण, विद्युत चुम्बकत्व एवं दुर्बल प्रभाव इन सभी में अपना भूमिका निभाता है।

इलेक्ट्रॉन खोज वर्ष 1897
वैज्ञानिक जे. जे. थॉमसन
द्रव्यमान 9.109 × 10−31 किलोग्राम
आवेश 1.6 × 10-19 कूलॉम
प्रचक्रण 1/2
पीढ़ी प्रथम
प्रतीक चिन्ह e⁻ और β⁻
इलेक्ट्रॉन की संख्या 2n2

 

प्रत्येक परमाणु के मुख्यत : तीन कण होते है : 

  1. इलेक्ट्रॉन (electron)
  2. प्रोटॉन (proton)
  3. न्यूट्रॉन (neutron)

 

आसान शब्दों में कहा जाएँ तो इलेक्ट्रॉन उप-परमाणु कण होते हैं जो एक परमाणु के नाभिक (nucleus) की चारों ओर परिक्रमा करते रहता हैं जो आम तौर पर परमाणु के नाभिकों से छोटे और ऋणात्मक आवेश वाले  होते हैं।

हमारें सामान्य जीवन में इलेक्ट्रॉन का बहुत ही बड़ा योगदान है जो हमें बिजली प्रदान करने में हमारी मदद करता है।

विद्युत मूल रूप से एक धारा में इलेक्ट्रॉनों का आदान-प्रदान है जिसे एक प्रवाहकीय माध्यम को करंट कहा जाता है।

इस तरह कहा जा सकता है कि इलेक्ट्रॉन एक कम द्रव्यमान वाला, ऋणात्मक रूप से आवेशित कण है। जैसे, यह आसानी से अन्य इलेक्ट्रॉनों या परमाणु के सकारात्मक नाभिक के करीब से गुजरकर विक्षेपित (deflected) हो सकता है।

 

इलेक्ट्रॉन की खोज किसने किया – Electron ki khoj kisne ki Thi?

इलेक्ट्रान की खोज ब्रिटिश भौतिकशास्त्री जे. जे. थॉमसन (Sir Joseph John Thomson) के द्वारा वर्ष 1897 में किया था। यह एक पहला मौलिक कण है जिसे थॉमसन के द्वारा अपने प्रयोगों के आधार पर एक डिस्चार्ज ट्यूब में खोजा गया था।


Electron ki khoj kisne ki Thi
J. J. Thomson (1915–1920)

इलेक्ट्रॉन की खोजकर्ता जे. जे. थॉमसन
जन्म 18 दिसंबर 1856
जन्म स्थान चीथम हिल, मैनचेस्टर, इंग्लैंड
मृत्यु 30 अगस्त 1940, कैम्ब्रिज, इंग्लैंड
क्षेत्र भौतिकी वैज्ञानिक
शिक्षा कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी

 

उन्होने सबसे पहले एक परमाणु के भीतर ऋणावेशित कणों के अस्तित्व को सिद्ध किया जिसे इलेक्ट्रॉन कहा जाता है। इस प्रकार, इलेक्ट्रॉन खोजा जाने वाला पहला उप-परमाणु कण है।

जिसके बाद उन्होने आयें सभी उप-परमाणु कणों (प्रोटॉन और न्यूट्रॉन) की खोज में वैज्ञानिकों का एक कदम आगे बढ़ा।

 

इलेक्ट्रॉन कहाँ होता हैं – Where is the electron in Hindi?

यह परमाणु के नाभिक कक्षाओं के बाहर घूमते रहता है। जिस प्रकार सूर्य पृथ्वी की परिकरमा करते रहते है उसी प्रकार इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के बाहर चक्कर लगाते रहता है। जैसा कि आपको पता है कि विद्युत आवेश एक दूसरे को आकर्षित करते रहता है

ऋणात्मक इलेक्ट्रॉन धनात्मक नाभिक की ओर आकर्षित होते हैं आकर्षण का यह बल इलेक्ट्रॉनों को नाभिक के चारों ओर खाली जगह में लगातार गतिमान रखता है।

नीचे दिया गया चित्र में देखा जा सकता है कि इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन किस प्रकार परमाणु के चारों ओर चक्कर लगते है।

 

Electron Ki Khoj Kisne Ki

 

इलेक्ट्रॉन की खोज कैसे हुई – Discovery of Electrons in Hindi

वैज्ञानिकों ने बिजली के साथ काम करने से बहुत पहले ही यह समझ लिया था कि करंट इलेक्ट्रॉनों से बना होता है। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में भौतिकी के प्रोफेसर के पद पर कार्य कर चुके जे जे थॉमसन ने इलेक्ट्रॉन की खोज करने के लिए,

उन्होने एक डिस्चार्ज ट्यूब में 0.01mm हाइड्रोजन के कम दबाव पर गैस लेकर प्रयोग किए।

डिस्चार्ज ट्यूब एक लंबी कांच की ट्यूब होती है जिसमें दो धातु की प्लेट होती हैं जो एक बैटरी के विपरीत चार्ज किए गए poles से जुड़ी होती हैं। इन धातु प्लेटों को कैथोड और एनोड कहा जाता है।

उच्च वोल्टेज के उपयोग से गैस का आयनीकरण (ionization) ऋणात्मक आवेशित (Negatively charged) कणों के उत्सर्जन द्वारा होता है जिन्हें इलेक्ट्रॉन कहा जाता है। ये कण कैथोड किरणों से उत्पन्न होते हैं।

प्रयोग के दौरान उन्होने कैथोड रे ट्यूब के साथ प्रयोग करना शुरू किया। जो एक प्रकार का सीलबंद कांच की एक ट्यूब होता है

जिसमें मौजूद अधिकांश हवा O2 को निकाल दिया जाता है और उस ट्यूब के एक छोर पर दो इलेक्ट्रोडों के high voltage को जोड़ा जाता है।

जिससे कणो (particles) का एक Beam cathode नकारात्मक चार्ज इलेक्ट्रोड से एनोड सकारात्मक चार्ज इलेक्ट्रोड में प्रवाहित होता है।

कणों के गुणों का रिसर्च करने के लिए, थॉमसन ने कैथोड किरण के चारों  ओर दो विपरीत charged electric plates रखीं।

 

Electron Ki Khoj Kisne Ki

 

जिससे कैथोड किरण ऋणावेशित विद्युत प्लेट से दूर और धन आवेशित प्लेट की ओर विक्षेपित (deflected) हो गई। जिससे यह पता चलता है कि कैथोड किरण ऋणावेशित कणों से बनी होती है।

सर वैज्ञानिक थॉमसन ने ट्यूब के दोनों ओर दो चुम्बक रखकर भी देखा

जिससे यह पता चला कि चुंबकीय क्षेत्र कैथोड किरण को भी विक्षेपित करता है। इन प्रयोगों के परिणामों ने थॉमसन को कैथोड किरण कणों के Mass-to-charge ratio को निर्धारित करने में मदद की, जिससे एक आकर्षक खोज हुई।

उन्होने Electrode material के रूप में विभिन्न धातुओं का उपयोग करते हुए अपने प्रयोगों को दोहराया और पाया कि कैथोड किरण के गुण स्थिर रहते हैं, चाहे वे किसी भी कैथोड सामग्री से उत्पन्न हुए हों।

 

इस इलेक्ट्रॉन रिसर्च के बाद कई निष्कर्ष निकले: –

  • कैथोड किरण ऋणावेशित कणों से बनी होती है।
  • कण परमाणु के हिस्से के रूप में मौजूद रहता है।
  • सभी तत्वों के परमाणुओं के भीतर उप-परमाणु कण पाए जाते है।
  • इलेक्ट्रॉनों पर नकारात्मक चार्ज को संतुलित करने के लिए परमाणु के भीतर सकारात्मक चार्ज का स्रोत होना चाहिए।

 

इसका संछिप्त वर्णन किया जाएँ तो, जे. जे. थॉमसन ने 1897 ई. में एक immersion tube में अत्यंत निम्न दाब पर ली गई गैस में High voltage की Electric current supply किया।

जिससे Cathode पर Fine Particles की Currents निकली, जिसे कैथोड किरणे (Cathode Rays) कहा गया।

ये कैथोड किरणें Electron Dead नामक आवेशित कणों से मिलकर बनी होती है। थॉमसन द्वारा बताया गया था कि इलेक्ट्रॉन सभी तत्वों के परमाणुओं में प्राप्त मृण आवेशित कण है।

 

इलेक्ट्रॉनों को कहां खोजें  – Where to Find Electrons in hindi

कोई भी पदार्थ बहुत सारें छोटे-छोटे अणुओं से मिलकर बना होता है और उन अणुओं के चारों ओर चक्कर लगाने वाला इलेक्ट्रॉन होता है। जो हमारें प्रकृति में मुक्त रूप से पाया जाता है जो परमाणुओं के नाभिक के भीतर बंधे होते है।

परमाणु के ऋणात्मक आवेश वाले घटक के लिए इलेक्ट्रॉन जिम्मेदार होते हैं। एक परमाणु में, इलेक्ट्रॉन धनावेशित परमाणु नाभिक के चारों ओर परिक्रमा करते हैं। तो वही ठोस पदार्थ (solids) में इलेक्ट्रॉन विद्युत धारा के संचालन का प्राथमिक साधन हैं।

परमाणुओं और अणुओं के इलेक्ट्रॉनों के बीच परस्पर क्रिया से रासायनिक प्रतिक्रियाएँ होती हैं। रासायनिक बंधन तब बनते हैं जब इलेक्ट्रॉनों को परमाणुओं के बीच साझा किया जाता है।

 

इलेक्ट्रॉन की विशेषता क्या है – Characteristics of Electrons in Hindi

किसी भी पदार्थ में मौजूद इलेक्ट्रॉनों की कई प्रकार की अपनी मुख्य विशेषता होती है: –

  • इलेक्ट्रॉनों को एक प्रकार का प्राथमिक कण माना जाता है क्योंकि वे छोटे घटकों से नहीं बने होते हैं।
  • प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉनों के समान, लेकिन विपरीत चार्ज होते हैं। इलेक्ट्रॉन धनावेशित कणों जैसे प्रोटॉन की ओर आकर्षित होते हैं।
  • किसी पदार्थ में शुद्ध विद्युत आवेश है या नहीं, यह इलेक्ट्रॉनों की संख्या और परमाणु नाभिक के धनात्मक आवेश के बीच संतुलन द्वारा निर्धारित किया जाता है।
  • एक इलेक्ट्रॉन में 1/2 की स्पिन या आंतरिक कोणीय गति होती है।
  • एकल इलेक्ट्रॉनों की जांच से, शोधकर्ताओं ने पाया है कि सबसे बड़ा इलेक्ट्रॉन की त्रिज्या 10-22 मीटर है।
  • कई practical applications में इलेक्ट्रॉनों का उपयोग किया जाता है। इनमें बिजली, वैक्यूम ट्यूब, फोटोमल्टीप्लायर ट्यूब, कैथोड रे ट्यूब, अनुसंधान और वेल्डिंग के लिए कण बीम और फ्री-इलेक्ट्रॉन लेजर शामिल हैं।
  • किसी भी परमाणु के नाभिक में प्रोटोन मौजूद रहता है, जबकि इलेक्ट्रॉन उस परमाणु के चारों केंद्रक की परिकर्मा करते रहता है।
  • जब तक पहली कक्षा में इलेक्ट्रॉन पूरा नही होते तब तक वह अगली कक्षा में प्रवेश नही करते है।
  • साथ ही किसी भी परमाणु में बिना इलेक्ट्रॉन का कोई कक्षा नही होता है। इस तरह कहा जा सकता है कि कक्षा के लिए इलेक्ट्रॉन (e) का होना बहुत जरूरी है।
  • किसी भी परमाणु में कक्षाओं की संख्या उसमें मौजूद इलेक्ट्रॉन और प्रोटोन पर होता है।

 

इलेक्ट्रॉन कैसे बनते हैं – How are Electrons made in Hindi

जैसा कि आप अवगत हो चुके है कि इलेक्ट्रॉन (-) Electric current supply करता है। हम सभी खुली आँखों से परमाणु और उसमें मौजूद इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रान को नही देख सकते है जिसमें पॉजिटिव, निगेटिव और न्यूट्रल एटम शामिल रहता है।

जब भी पदार्थ में मौजूद Electron और Proton की संख्या एक बराबर हो जाता है तब इनका रिएक्शन न्यूट्रल होता है, लेकिन जैसे ही इनके संख्यों में अंतर आने लगता है वैसे ही इसमें मौजूद इलेक्ट्रॉन परमाणु यानि पदार्थ के बाहरी कक्षा में घूमना शुरू कर देता है।

जिससे स्टैटिक डिस्चार्ज पैदा होने लगता है जिसका उदाहरण के रूप में चमकती बादलों के बीच कुछ इसी प्रकार का रिएक्शन होता है। जब एटम में इलेक्ट्रॉन की संख्या लगातार बढ़ने लग जाता है जिससे negative charge पैदा होने लगता है।

जो दूसरे ऑब्जेक्ट के Positive electron की ओर आकर्षित होने लगता है और यह आपस में मिलकर पॉज़िटिव और नेगेटिव वोल्ट का निर्माण करता है। ऐसे में इंसान भी एक प्रकार का इलेक्ट्रॉन से बना एक (e) नेगेटिव चार्ज है

जो जब भी किसी पॉज़िटिव इलेक्ट्रॉन के संपर्क में आ जाता है तब वह उसके ओर तेजी से प्रवाह होना शुरू कर देता है। जिससे बिजली के झटके जैसा एहसाह होता है।

 

कैथोड रे ट्यूब क्या है – What is Cathode Ray Tube in Hindi?

कैथोड-रे ट्यूब (सीआरटी) एक Electron beam या e-beam Discharge Tube में देखी गई इलेक्ट्रॉनों की धाराएं हैं। यदि हम एक खाली काँच के ट्यूब के दोनों छोर पर इलेक्ट्रोड प्रवाहित करें और वोल्टेज सप्लाई करें

तो कैथोड से उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों के कारण सकारात्मक इलेक्ट्रोड के पीछे कांच चमकने लगता है। कैथोड रे ट्यूब में, विद्युत क्षेत्र का उपयोग करके इलेक्ट्रॉनों को ट्यूब के एक छोर से दूसरे छोर तक त्वरित किया जाता है।

जब इलेक्ट्रॉन ट्यूब के दूर के छोर से टकराते हैं तो वे अपनी गति के कारण अपनी सारी ऊर्जा छोड़ देते हैं और इसे गर्मी जैसे अन्य रूपों में बदल दिया जाता है। थोड़ी मात्रा में ऊर्जा एक्स-रे में बदल जाती है।

 

FAQ’s – Electron Ki Khoj Kisne Ki hai 

Q. इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉन पर पाए जाने वाले आवेश के नाम लिखिए

परमाणु या अणुओं के नाभिक या बाहरी कक्षा में मौजूद इलेक्ट्रॉन पर नकारात्मक विद्युत आवेश (e) होता है तो वही प्रोटॉन पर सकारात्मक विद्युत आवेश (e+) होता है और अंत में न्यूट्रान जिस पर कोई भी विद्युत आवेश नही होता है।

Q. इलेक्ट्रॉन प्रोटॉन न्यूट्रॉन की खोज किसने किया था 

जैसा कि आप अवगत हो चुके है इलेक्ट्रॉन की खोज जे जे थॉमसन के द्वारा किया गया था तो वही प्रोटॉन की खोज रदरफोर्ड और ट्रॉन की खोज जेम्स चैडविक ने किया था।

Q. इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन न्यूट्रॉन का द्रव्यमान क्या है

इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान 9.11 x 10-31 किलोग्राम होता है और प्रोटॉन का द्रव्यमान 1.6726 x 10-27 किलोग्राम होता है साथ ही न्यूट्रॉन का द्रव्यमान 1.6929 x 10-27 किलोग्राम होता है।

Q. इलेक्ट्रॉन प्रोटॉन न्यूट्रॉन की तुलना कीजिए

इलेक्ट्रॉन पर इकाई ऋण आवेश होता है तो वही प्रोटॉन पर इकाई धन आवेश होता है। साथ ही न्यूट्रॉन पर कोई आवेश नहीं होता है। इलेक्ट्रॉन को ‘e’ प्रोटॉन को ‘p’ से और न्यूट्रॉन को ‘n’ से प्रदर्शित करते हैं।

Q. N कक्षा में कितने इलेक्ट्रॉन होते हैं

परमाणु चार कक्षाओं K,L,M और N से घिरा होता है। जिसमें 32 इलेक्ट्रॉन मौजूद रहते है। पहली कक्षा K में 2 x 12 = 2, L कक्षा में 2×22 =8, M कक्षा में 2×32 = 18 और N कक्षा में 2×42 =32 इलेक्ट्रॉन मौजूद रहते है।

 

Conclusion

इस ब्लॉग लेख में आपने इलेक्ट्रॉन क्या हैइलेक्ट्रॉन की खोज किसने व कैसे की? के बारें में जाना। आशा करता हूँ आप Electron ki khoj kisne ki aur kab ki की पूरी जानकारी जान चुके होंगे।

अगर आपका इससे संबन्धित किसी भी तरह का सवाल है तब नीचे कमेन्ट में पूछ सकते है जिसका जवाब जल्द से जल्द दिया जायेगा।

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