Regulating Act 1773 in Hindi : अंग्रेज भारत में व्यापार के नाम पर ही आए थे पर उनको हमारे भारत में फूट डाल के शासन करने का अवसर दिखा और उसके बाद हम सब जानते है की अंग्रेजो अर्थात ब्रिटिशर्स ने हमारे भारत पर एक लंबे समय तक राज किया
वास्तव में ब्रिटिशर ईस्ट इंडिया कंपनी के नाम पर हमारे भारत में आए थे उनका उद्देश्य भारत में व्यापार करना था, ईस्ट इंडिया कंपनी कंपनी ने एकाधिकार लिया था की सिर्फ वह ही भारत में व्यापार कर सकती है और किसी भी कंपनी को व्यापार करने की इजाज़त नही रहेगी
ईस्ट इंडिया कंपनी ब्रिटिश सरकार को इस इकाधिकार के लिए पैसे देती है जिससे ब्रिटिश सरकार को भी फायदा होता है और ईस्ट इंडिया कंपनी भी फायदे में रहती है
ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्मचारी आपस में ही कार्य कर रहे थे जिसके कारन इनके ऊपर शासन करने वाला कोई नही था, जिसके कारन ईस्ट इंडिया कंपनी अंदर से ही खोखली होने लगी
ईस्ट इंडिया की आर्थिक हालत इतनी खराब हो गयी की वह ब्रिटिश सरकार को पैसे देने की हालत में नही रही उसे खुद ब्रिटिश सरकार से पैसे लेने की हालत हो गयी थी
जिसके कारन ब्रिटिश सरकार को ईस्ट इंडिया कंपनी को वापस से समृद्ध बनाने के लिए और सब चीज़ों को वापस से व्यवस्थित करने के लिए और इस कंपनी पर अपना पूर्ण अस्तित्व स्थापित करने के लिए रेगुलेटिंग एक्ट 1773 चलाया गया
इस एक्ट के अधिनियम, फायदे नुक्सान, बदलाव और क्या क्या मुख्य बदलाव आए यह सब हम इस आर्टिकल के तहत पढेंगे
इस एक्ट के द्वारा सरकार ने व्यापारिक कंपनी को भी नियंत्रित करना शुरू कर दिया था जिससे वह हर तरह से भारत के हर मामले को नियंत्रित करने का प्रयास किया
Regulating Act 1773 in Hindi ( सन १७७३ का रेग्युलेटिंग ऐक्ट )
यह 1773 में ब्रिटिश संसद द्वारा निकाला गया एक अधिनियम है, इसका काम ईस्ट इंडिया कंपनी को विनियमित करना था, इससे ईस्ट इंडिया कंपनी पूरी तरह से ब्रिटिश सरकार के अन्दर काम करने लग गयी थी जिससे सरकार भी अच्छे से इस कंपनी से फायदा ले रही थी और यह कंपनी भी आगे बढ़ रही थी
यह एक महत्वपूर्ण एक्ट था क्योंकि इसके द्वारा पहली बार सरकार ने किसी व्यापार अथवा कंपनी के मामले में भाग लिया था, इसी समय के बाद बहुत देशों के संविधान तथा भारत के भी संविधान में कंपनियों से जुड़े फैसले शामिल किये गए
यह हमारी भारत के संविधान के लिए भी आवश्यक है क्योंकि इसके बाद ही हमारे संविधान में आर्थिक रूप से पूरे देश को चलाने के लिए और कंपनियों से जुड़े मामले एक्ट और क़ानून शामिल किया गया था
इस अधिनियम के कारन बंगाल के गवर्नर को गवर्नर जनरल की पदवी बनाई गई, जहाँ से भारत के सभी ब्रिटिश क्षेत्रों की देख रेख तथा उनकी संभाल और उनसे जुड़े फैसले देने का कार्य दिया गया
नियामक अधिनियम के चलते गवर्नर जनरल के पास यह शक्ति थी की वह नए नियम बना सकता है तथा आदेश भी जारी कर सकता है, जिससे भारत में कार्य करने वाले सभी ब्रिटिश अधिकारी सही से काम करने लगे थे
इस नियम के तहत एक सर्वोच्च न्यायालय की भी स्थापना की गई, इसे कलकत्ता में बनाया गया था जिसका कार्य ब्रिटिश अधिकारी और भारतीय अधिकारी अथवा कर्मचारियों के बीच विवादों को सही करना था
सुप्रीम कोर्ट भारत की पहली अदालत थी और यही से भारत में कानून और अदालत की प्रक्रिया को शुरू किया गया था, हम यह सब जानने के बाद कह सकते है की इस एक्ट के बाद ही भारत में चीज़ों को और सही से संभालने, अदालत तथा हर तरह की चीज़ों को कानूनी और सरकारी रूप से सुलझाने की प्रक्रिया शुरू हुई थी
जोकि आज हमारे भारतीय क़ानून की नीव है, हम यह कह सकते है, अंग्रेज हमसे बहुत कुछ लेकर गए है तो हमें बहुत कुछ देकर भी गए है
ईस्ट इंडिया कंपनी के बारे में जानकारी
यह कंपनी ब्रिटिश के लोगों के द्वारा शुरू की गई थी, इस कंपनी का उद्देश्य भारत में व्यापार करना था, इसकी शुरुआत 1600 में हुई थी, क्वीन एलिज़ाबेथ के द्वारा इस कंपनी को साउथ इंडिया में व्यापार करने का अवसर दिया
धीरे धीरे इस कंपनी को पोलिटिकल पॉवर, मिली जिससे इस कंपनी ने साउथ से शुरू होकर भारत के नार्थ के हिस्से में भी व्यापार करना और अपनी कंपनी को बढ़ाना शुरू किया
इस कंपनी का मुख्य काम आयात निर्यात करना था, यह बाहर के देशों से सामान लाकर भारत के राजाओं और समृद्ध प्रजा की आवशयकता पूर्ण करती थी, और भारत में होने वाले मुख्य मुख्य चीज़ों को भी यह कंपनी बाहर के देशों में निर्यात करती थी
इस कंपनी के भारत के निर्माण में बहुत बड़ा रोल था, इस कंपनी से भारत को बहुत नुकसान भी हुआ था और साथ में इस कंपनी ने भारत के बुनियादे ढांचे को बनाया था, जिसपे आज भी भारत के बहुत से सिस्टम आधारित है
इन कंपनी ने भारत में बहुत से बुरे कामों को भी शुरू किया, भाईचारे, शोषण, गरीबी अमीरी आदि भी इस कंपनी के अंदर अंदर ही चल रहे थे
रेगुलेटिंग एक्ट 1773 का प्रावधान
- इस एक्ट के चलते ईस्ट इंडिया कंपनी ने सरकार से 1.5 मिलियन पाउंड का कर्ज लिया था उस कर्ज को भरने के लिए सरकार ने साझेदारी से होने वाली कमाई को 6 प्रतिशत तक सीमित कर दिया
- ऐसा कंपनी के द्वारा लिए गए कर्जे को भरने के लिए किया गया
- इस एक्ट के द्वारा निगम के संचालन को विनियमित किया गया
- इस एक्ट के द्वारा भाई चारे की भावना से काम देना या काम में छूट देना और घूस आदि देना गैरकानूनी बताया गया
- इस एक्ट के चलते भारत में केंद्र शासन की नीव रखी गई, गवर्नर जनरल के हाथ में सभी केंद्र के अधिकार दिए गए, और सही व्यक्ति की नियुक्ति करने के लिए वोटिंग का इस्तेमाल किया जाए
- कोर्ट के डायरेक्टर का चयन 4 वर्ष के लिए चुना जाएगा
- ब्रिटिश के मंत्रियों को भारतीय मामलों पर नियंत्रण करने के लिए आदेश लेने का पूरा अधिकार दिया गया
- एक सर्वोच्च और तीन जजों वाले एक न्यायालय की स्थापना की गई, कंपनी के सभी कार्यकर्ता इस कोर्ट के सभी नियम क़ानून का पालन करेंगे यह नियम भी बनाया गया
- कोई भी कंपनी में काम करने वाले लोग को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से एक दुसरे से किसी भी प्रकार के गिफ्ट, पैसे आदि का लेना देना गैरकानूनी है
नियामक अधिनियम 1773 के कारण
ऐसे बहुत से कारन थे जिनके कारन ब्रिटिश सरकार को कुछ मुख्य फैसले लेने पड़े जिसमे से यह भी एक बहुत ही मुख्य फैसला था, इस फैसले से उन्होंने व्यापार करने के बहुत से नियम बनाए जिससे व्यापार भी सही से हो जाए और वह आराम से राज भी कर सके
- कंपनी को सही से चलाने के लिए और कंपनी द्वारा भारतीय और व्यापार दोनों पे राज करने के लिए भी ब्रिटिश सरकार ने इस अधिनियम को पास किया
- ईस्ट इंडिया कंपनी भ्रष्टाचार से भर चुकी थी, इसमें काम करने वाले लोगों को कंपनी की नही बस अपने जेब की पड़ी थी
- इस एक्ट से ब्रिटिश सरकार ने ईस्ट इंडिया कंपनी पर प्रशशनिक, केन्द्रिक, राजनीतिक, संसदीय नियंत्रण को स्थापित करने के लिए इस एक्ट को लागू किया
- भारतीय और ब्रिटिश के लोगों में विवाद भी कंपनी के घाटे में आने का कारन था
- सरकार का ईस्ट इंडिया कंपनी से फायदा बंद हो चूका था फायदे की जगह नुक्सान हो रहा था
- कंपनी लोन में डूब गयी थी
- 1769 में कंपनी की मैसूर हैदर के साथ लडाई हुई थी जिसमे कंपनी की हार हो गयी थी
- ब्रिटिश सरकार को व्यापार के मामले में भी पूरा कण्ट्रोल चाहिए था जिस कण्ट्रोल का नाम था ये अधिनियम, इस अधिनियम से ब्रिटिश सरकार का हर तरह के व्यापर में भी कण्ट्रोल हो गया
Regulating Act 1773 के फायदे
- सही व्यवस्था
इस एक्ट के बाद कंपनी ने बहुत से नियम बनाए जिससे अधिकार किसी एक व्यक्ति के पास सुरक्षित नहीं रहे लोगों में बट गए जिससे किसी एक व्यक्ति के भ्रष्ट होने से पूरे के पूरे सिस्टम पर प्रभाव नही जा रहा था
लोगों के बीच भ्रष्टता, आपसी स्वार्थ के लिए लिए जाने वाले फैसले जिससे कंपनी का नुक्सान हो और सही लोगों का चुनाव मुमकिन हो पाया
- कंपनी के सभी अधिकार सरकार के पास
सरकार ने इस तरह कंपनी के सभी फैसलों और कंपनी में होने वाले बदलाव आदि से जुडी जानकारी और नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया, जिससे कंपनी के अब सभी अधिकार सरकार के पास आ गए
- भारतीय और ब्रिटिश के लोगों के बीच संतुलन
भारतीयों को बहुत सी दिक्कतें हो रही थी ब्रिटिश के लोगों के साथ काम करने में, जिससे भी कंपनी को बहुत दिक्कतें हो रही थी, क्योंकि अगर काम करने वाले और काम करवाने वाले लोगों के बीच मेल जोल नही रहेगा तो काम सही से नही हो पाएगा
इसलिए ज़रूरी था की भारतीयों को होने वाली और उनकी वजह से ब्रिटिशर्स को होने वाली परेशानियों को सुलझाना ही पड़ेगा, ब्रिटिश कैबिनेट इस एक्ट के बाद भारतीयों के मामलों को संभालने लगी थी
- सुप्रीम कोर्ट का निर्माण
इसी एक्ट के कारन बंगाल में सुप्रीम कोर्ट का निर्माण किया गया था, सुप्रीम कोर्ट के कारन सभी क्षेत्र शामिल थे और उन क्षेत्रों से जुड़े सभी मामले शामिल किये जाते थे
जिसके कारन ही कोर्ट का निर्माण हुआ था, इस कोर्ट में सभी कर्मचारियों आदि से जुडी समस्याओं का निवारण किया जाता था
- गवर्नर जनरल जैसे अन्य पदवी की स्थापना
सभी चीज़ों और व्यापार से जुड़े लोगों और कार्यों को बरकरार रखने के लिए अलग अलग पदवी का निर्माण किया गया जिससे पूरे ईस्ट इंडिया कंपनी और भारत की सभी हिस्सों की कंपनी को सही से संभाला जा सके
रेगुलेटिंग एक्ट की कमियाँ
- गवर्नर जनरल के ऊपर सभी जिम्मेदारियां डाल दी गई जिसके कारन उसका कार्य असहज हो गया था
- न्यायालय स्थापित करने से सब सही नही हो गया था क्योंकि क़ानून नही बनाने गए थे, न्यायाधीशों को पता नही था की किस व्यक्ति या लोगों को कैसी सजा दी जाए और मामलों को कैसे निपटाया जाए
- गवर्नर जनरल के पास वोट देने की शक्ति नही रहती
- इससे कंपनी के लोगों का आपस में पैसे का लेन देन बंद नही हुआ
- गवर्नर जनरल द्वारा भेजी गई रिपोर्ट को पढना मुश्किल होता था जिसके कारन कंपनियों की गतिविधियों पर पूर्ण तरह से नियंत्रण संभव नही हो पाता था
विनियमन अधिनियम 1773 का संशोधन
इस एक्ट में जो कमियाँ थी उसे एक संशोधन के द्वारा हटाया गया, इस अधिनियम को 1781 के संशोधन अधिनियम द्वारा सही किया गया
इस संशोधन के मुख्य बिंदु इस प्रकार है
- सुप्रीम कोर्ट के क्षेत्राधिकार जो अपील करते थे उसको समाप्त कर दिया
- राजस्व कलेक्टरों और न्यायिक अधिकारियों को उनके काम से मुक्त कर दिया गया और यह पदवी हटा दी गई
- गवर्नर जनरल के मंत्री मंडल द्वारा हर क़ानून पारित किया जाएगा वह जो चाहे जैसे चाहे बदल सकते है बस उनको अपने लिए गए फैसले पर सर्वोच्च न्यायालय की आज्ञा लेनी होगी
- सुप्रीम कोर्ट का अधिकार बस बंगाल तक सीमित कर दिया गया
रेगुलेटिंग एक्ट की महत्ता
- इससे भारत में पहली बार केन्द्रीकरण की शुरुआत की गई थी, जिससे पूरे भारत के कार्यों को एक जगह से संभालना शुरू किया गया
- पूरा देश एक ही नियम को मानाने लगा और एक ही भाषा बोलने लगा, जिससे पूरा देश एक तरह से एक होने लगा
- विनियमन अधिनियम ने एक नए व्यवस्था को जन्म दिया
- इस एक्ट से बंबई और मद्रास प्रेसीडेंसी के ऊपर बंगाल प्रेसिडेंसी को स्थापित किया गया
- इससे न्यायालय की शुरुआत हुई और धीरे धीरे हर तरह के मामले नयायालय के अंदर आने लगे
रेगुलेटिंग एक्ट से जुड़े कुछ तथ्य
1) कंपनी के कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार के बहुत बढ़ जाने और शक्ति के बहुत ज्यादा दुरूपयोग, कंपनी के भले के लिए नही अपने भले के लिए फैसले लेना जिससे कंपनी डूब रही थी, इन्हीं कारणों के कारन सरकार को कुछ बड़े फैसले लेने पड़े जिसका नाम है यह रेगुलेटिंग एक्ट 1773
2) इस एक्ट से निम्नलिखित नई पदवी और नए अधिकारों का निर्माण किया गया
- बंगाल के गवर्नर जनरल
- बंगाल में सर्वोच्च परिषद् की स्थापना
- कोलकत्ता में सर्वोच्च न्यायालय का निर्माण
3) पहले गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स थे यह बंगाल के पहले गवर्नर जनरल थे, जिन्होंने बहुत बड़े बड़े बदलाव लाए जो कंपनी और कर्मचारियों के भले के लिए थे
4) 20 वर्ष के अंदर इस अधिनियम में ज़रूरी बदलाव लाने का नियम भी बनाया गया पर कंपनी हमेशा इस अधिनियम के अंदर ही कार्य करेंगी
FAQs : Regulating Act 1773 in Hindi
Q1 : रेगुलेटिंग एक्ट लागू करते समय बंगाल का गवर्नर कौन था?
वारेन हेस्टिंग्स (Warren Hastings) पहले गवर्नर जनरल थे, जो 1774 से 1785 तक गवर्नर जनरल बने रहे
इन्होने भारत में ब्रिटिश के शासन को स्थापित करने में बहुत महत्त्वपूर्ण कार्य किया, इन्होने एक अच्छे प्रशासन को स्थापित किया
इनको बहुत से विबादों का भी सामना करना पड़ा इन्ही के अंदर काम करने वाले लोग ही इनके विरोध में चले गए थे, इन पर करप्शन का भी इलज़ाम लगाया गया है
इनपर बहुत से आरोप लगाए गए जिसके कारन इन पर सात साल तक कार्यवाही चली थी, पर इन सबसे यह बात नही झूठलाई जा सकती है की इनका भारत और ईस्ट इंडिया कंपनी के विकास में बहुत महत्त्व है
Q2 : रेगुलर एक्ट के प्रमुख उद्देश्य क्या थे?
- इसका मुख्य उद्देश्य वापस से ईस्ट इंडिया कंपनी को स्थापित करना और इस बार उसको और मजबूत और सरकार के अधीन करके स्थापित करना
- व्यापार के मामले में भी सरकार का कण्ट्रोल हो यह भी इस एक्ट का मुख्य उद्देश्य था
- भारतीय के मामलों और भारतीय और ब्रिटिश के लोगों के बीच मेल जोल स्थापित करना भी इस कंपनी के मुख्य उद्देश्यों में आता है
Q3 : भारत का पहला वायसराय कौन था?
अधिनियम 1858 के अंतर्गत लॉर्ड कैनिंग भारत के पहले वायसराय बने
Q4 : एक्ट से क्या समझते हैं?
अधिनियम क़ानून का एक टुकड़ा है, जिसे हर किसी को मानना ही पड़ता है, इसे पार्लियामेंट द्वारा पारित किया जाता है, इसे अलग अलग हिस्से के लिए अलग अलग हो सकता है पर आम तौर पर यह एक लिखित दस्तावेज होते है
Q5 : भारत का अंतिम गवर्नर जनरल कौन थे?
भारत के अंतिम गवर्नर जनरल सी. राजगोपालाचारी थे, यह 1948 से 1950 तक गोवेर्नल जनरल बने रहे, उसके बाद इस पदवी को ही हटा दिया गया था
Conclusion
हमने आज के सी आर्टिकल Regulating Act 1773 in Hindi में नियामक अधिनियम के बारे में हमने आपको सभी ज़रूरी चीज़ें बताने का प्रयास किया है
यह 1773 में ब्रिटिश संसद द्वारा निकाला गया एक अधिनियम है, इसका काम ईस्ट इंडिया कंपनी को विनियमित करना था, इससे ईस्ट इंडिया कंपनी पूरी तरह से ब्रिटिश सरकार के अन्दर काम करने लग गयी थी जिससे सरकार भी अच्छे से इस कंपनी से फायदा ले रही थी और यह कंपनी भी आगे बढ़ रही थी
इस कंपनी के कारन भारत में एक अच्छी व्यवस्था की शुरुआत हुई और इस व्यवस्था को आज भी माना जाता है बस इसमें समय के साथ सुधार किये गए है, सुप्रीम कोर्ट, न्याय क़ानून आदि का निर्माण भी इसी अधिनियम द्वारा स्थापित किया गया था
आपको हमारा यह आर्टिकल कैसा लगा हमें कमेंट करके बताइए और हमारे इस आर्टिकल को [पूरा पढने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद