Vidyut Chumbakiy Tarang Kya Hai : यह वह तरंगे है जिन्हें किसी माध्यम की आवश्यकता नही होती है यह बिना किसी माध्यम के ही ट्रेवल करती है
यह दो तरह की तरंगों से मिलके बनती है इसमें विद्युत् तरंगे भी होती है और चुम्बकीय तरंगे भी होती है और इसके फायदों की वजह से ही इसका इस्तेमाल आजके समय में बहुत ज्यादा किया जाता है
हम ऐसा कह सकते है मॉडर्न दुनिया को बनाने में इन तरंगों का भी विशेष योगदान है, संचार इन्ही तरंगों की वजह से मुमकिन हो पाया है, रेडियो ब्राडकास्टिंग, Wifi नेटवर्क, सेल फोन संचार और तो और टेलीविज़न संचार भी इन्ही तरंगों से मुमकिन हो पाया है
इनके उपयोग से बहुत सी मेडिकल सुविधाएं भी मुमकिन हो पाई है जैसे की x रे भी इन्ही के सहायता से होता है, इन तरंगों का इस्तेमाल रिमोट सेंसिंग के लिए भी किया जाता है जिसकी सहायता से हम वातावरण और किसी भी प्राकृतिक अनहोनी का पता लगा पाते है
सबसे ज़रूरी इसका उपयोग तो यह है की सॅटॅलाइट भी विद्युत् चुम्बकीय तरंगे ही छोडती है और इन्ही के इस्तेमाल से हम आजके समय में जीपीएस आदि सेवा का आनंद ले पा रहे है, जितनी भी तरह की वायरलेस टेक्नोलॉजी है वह सब इसी तरंग का इस्तेमाल करती है
अब आप यह तो समझ ही गए होंगे की यह कितनी ज़रूरी चीज़ है इसका हमारे विज्ञान के साथ साथ जीवन में भी विशेष स्थान है और आजके आर्टिकल में हम इन्ही तरंगों के बारे में चर्चा करेंगे और आपको यह समझाने का प्रयास करेंगे की विद्युत चुंबकीय तरंगे क्या है? और इनका उपयोग क्या है और इसकी Equation क्या है आदि
Vidyut Chumbakiy Tarang Kya Hai | What is Electromagnetic Waves in Hindi
विद्युत चुंबकीय तरंग उर्जा को स्थानांतरण करने की एक विधि है, इसका निर्माण चुम्बकीय और विद्युत् उर्जा से होता है जब यह दोनों एक दुसरे के 90 डिग्री पर होती है तो इन दोनों के 90 डिग्री पर यह तरंग प्रवाहित करती है
इसमें विद्युत और चुंबकीय क्षेत्र एक दुसरे को दोलनशील होते है, यह तरंगे दोनों तरह से काम करती है यह कण की भी भाँती काम करती है और साथ में तरंगों की भांति भी काम करती है
इन्हें और डिटेल में बताने के लिए एक गणित की Equation के द्वारा बताया जाता है और इनका निर्माण इलेक्ट्रान के तेज प्रवाह से होता है इलेक्ट्रान ही है जो चलते समय इलेक्ट्रिक फील्ड यानी विद्युत् क्षेत्र बनाता है और गोले में चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण करता है
इस प्रकार एक इलेक्ट्रान के प्रवाह में विद्युत् क्षेत्र और चुंबकीय क्षेत्र दोनों का जन्म होता है और यही से विद्युत् चुंबकीय तरंग का भी जन्म होता है
इसके बहुत से गुण है जिसके कारन यह हमारे लिए इस समय सबसे उपयोगी है और इसी के कारन हम पूरी दुनिया को एक साथ जोड़ पाए है
विद्युत चुम्बकीय तरंग का समीकरण
E(x,t) = Emaxcos(kx – ωt + φ), B(x,t) = Bmaxcos(kx – ωt + φ)
यह electromagnetic wave का समीकरण है जो यह बताता है की यह तंरग कैसे काम करती है इसकी क्या विशेषता है और इसमें विद्युत और चुंबकीय क्षेत्र का क्या योगदान है
जैसे की हम देख पा रहे है की E(x,t) यह एक विद्युत् Equation को शो करता है जिसमे x जगह के लिए और t टाइम के लिए इस्तेमाल किया जाता है
वैसे ही B(x,t) चुंबकीय equation को शो करता है जिसमे x जगह के लिए और t टाइम के लिए इस्तेमाल किया जाता है
Vidyut Chumbakiy Tarang Kya Hai इसके साथ साथ उसकी Equation के बारे में भी पता होना आवश्यक है
मैक्सवेल की विद्युत् चुंबकीय तरंग का समीकरण
मैक्सवेल एक ऐसे खोजी थे जिनकी खोज ने भौतिक विज्ञान को एक नई दिखा दी थी, इन्होने विद्युत और चुंबकीय क्षेत्र के बीच में क्या रिलेशन है वह बताया यह दोनों आपस में कैसे निर्भर करते है इसके बारे में भी जानकारी दी
जिनके हिसाब से समीकरण इस प्रकार है
विद्युत् चुंबकीय तरंग की वेग
यह बिजली की वेग से चलती है
- μ = पारगम्यता
- ε = पारगम्यता
- ∇2 = लाप्लास ऑपरेटर
- B = चुंबकीय प्रवाह घनत्व
यह रिलेशन यह बताता है की इस प्रकार विद्युत् और चुंबकीय क्षेत्र लाप्लास ऑपरेटर पर निर्भर करते है
विद्युतचुम्बकीय तरंगों की गुणधर्म (Properties of Electromagnetic Waves)
- इन तरंगों को प्रसार के लिए किसी माध्यम की ज़रुरत नही होती है यह वैक्यूम में भी ट्रेवल कर सकते है जिसके कारन यह सॅटॅलाइट संचार के लिए इस्तेमाल किये जाते है
- इनकी प्रकृति अनुप्रस्थ (Transverse) होती है
- यह वैक्यूम में रौशनी की गति से चलती है जो की 3.0 × 10 की पॉवर 8 m/s है
- यह विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम बनाते है और इनके हिसाब से यह अलग अलग प्रकार में विभाजित है इनको दैर्ध्य/आवृत्ति के हिसाब से विभाजित किया जाता है
- यह ऐसी तरंगे है जो परावर्तित, विवर्तित, अपवर्तित और हस्तक्षेप की जा सकती है जिसके कारन इसका इस्तेमाल और बढ़ जाता है
- यह सुपरपोजीशन प्रिंसिपल को फॉलो करती है, यानी एक तरंग के ऊपर दूसरी तरंग को पारित किया जा सकता है
- इन सबकी एक निश्चित आवृति और दैधर्य होता है, जिसके कारन हर एक तरंग की अलग विशेषता होती है और अलग इस्तेमाल होता है
- यह उर्जा और संवेग को लेके चलती है यानी यह उर्जा और संवेग को ट्रान्सफर करती एक जगह से दूसरी जगह ट्रांसफर करती है
- इन तरंगों को ध्रुवीकृत किया जा सकता है अर्थात हम इनके वेग को एक निश्चित दिशा में पारित करते है
- यह विद्युत् क्षेत्र या चुंबकीय क्षेत्र से विक्षेपित नही होते है
विद्युतचुम्बकीय तरंग के प्रकार
यह भौतिकी का सबसे मूलभूत टॉपिक है, और यह आवृति और दैर्ध्य के हिसाब से अलग अलग प्रकार में विभाजित है जिनका अलग अलग काम होता है
Vidyut Chumbakiy Tarang Kya Hai इसके साथ साथ यह भी समझ में आता है की यह बहुत सी आवृति के होते है और इनके अलग अलग आवृति पर इनके बहुत से प्रकार तथा उनके इस्तेमाल है
इन तंरगों की अलग अलग विद्युत् और चुम्बकीय क्षेत्र होते है, और यह एक स्पेक्ट्रम बनाते है
1) इन्फ्रारेड तरंगें (आईआर)
आवृत्ति : इनकी आवृत्ति की रेंज 300 GHZ से 400 THZ के बीच होती है, और यह माइक्रोवेव और दृश्य प्रकाश के तरंगों के बीच में होती है
उपयोग : इनका उपयोग रात में देखने के उपकरण बनाने के लिए किया जाता है, इन्फ्रारेड हीटर भी इन्ही के उपयोग से बनते है, और इनका उपयोग स्पेक्ट्रोस्कोपी और टीवी रिमोट में किया जाता है
उदहारण : रिमोट कंट्रोल सिग्नल
2) रेडियो तरंगे
आवृति : इनकी आवृति 3 HZ से लेके 300GHZ तक होती है
यह फ्रीक्वेंसी के आधार पर विभाजित है
- छोटी तरंग रेडियो तरंग : इनकी आवृति 3MHZ से 30 MHZ तक होती है, और यह आयनमंडल से परावर्तित होने की काबिलियत रखती है जिसके कारन यह लम्बी दूरी तय कर सकती है
- निम्न से मध्यम आवृत्ति वाली रेडियो तरंगें : इनकी आवृति 30 KHZ से 3 MHZ तक होती है, और यह पृथ्वी की वक्रता के हिसाब से पृथ्वी के चारों और घूमती है
- उच्च आवृत्ति वाली रेडियो तरंगें : इनकी आवृति 30 MHZ से 3 GHZ तक है
- उच्चतम आवृत्ति वाली रेडियो तरंगें : इनकी आवृति 3 GHZ से 300 GHZ होती है
उपयोग : इसका उपयोग रेडियो संचार, RADAR, मोबाइल नेटवर्क, सॅटॅलाइट के संचार के लिए, ट्राफिक को कण्ट्रोल करने के लिए, रिमोट कण्ट्रोल डिवाइस के निर्माण के लिए किया जाता है
उदहारण : FM रेडियो, AM रेडियो, WIFI सिग्नल, सेल फ़ोन सिग्नल
3) माइक्रोवेव
आवृति : इस तरंग की आवृति 1GHZ से 300 GHZ होती है, और इसकी तरंग दैर्ध्य 30 सेंटीमीटर से लगभग एक मिलीमीटर तक होता है
माइक्रोवेव भी EM वेव के स्पेक्ट्रम का एक हिस्सा है, पर इसके इस्तेमाल बहुत अलग है
माइक्रोवेव की विशेषता
यह बहुत ज्यादा जानकारी को एक जगह से दुसरे जगह ट्रांसफर कर सकते है और यह ऐसा उंच आवृतियों का इस्तेमाल करके करते है
यह तरंगे कांच, कागज़ और प्लास्टिक जैसी वस्तुओं में प्रवेश कर सकते है पर यह धातु में प्रवेश नही कर सकते यह धातु से परावर्तित हो जाते है
यह तरंगे अपवर्तन, विवर्तन, प्रतिबिंब और हस्तक्षेप जैसे प्रोसेस से प्रभवित होती है यानी जब भी इन तरंग की मौजूदगी में यह घटनाए होती है तो यह उनके प्रभाव में कुछ परिवर्तन होने लगता है
यह पानी के अणुओं को वाईब्रेट करके गरम कर सकती है और यह ऐसा ध्रुवीय अणुओं के साथ भी करती है
माइक्रोवेव का उपयोग
- इनका उपयोग मेडिकल में भी किया जाता है यह कैंसर जैसी बीमारी के इलाज में काम आते है यह गर्मी पैदा करके बीमारी पैदा करने वाली कोशिकाओं को मारते है
- इनका उपयोग राडार में किया जाता है, इसमें माइक्रोवेव तरंगों को भेजकर उनकी प्रतिध्वनि से दूर से आ रही वस्तु की दिशा, गति आदि का पता करने का काम करता है
- इसका उपयोग संचार के लिए भी किया जाता है जहाँ यह वायरलेस संचार के लिए इस्तेमाल होता है
- इनका उपयोग माइक्रोवेव ओवन के रूप में भी किया जाता है, जहाँ यह उर्जा से खाना पकाने का काम करते है
उदहारण
RADAR, सॅटॅलाइट संचार
4) दृश्यमान प्रकाश तरंगें
यह वह विद्युत् चुम्बकीय तरंगे है जो इंसानों द्वारा देखी जा सकती है, जैसे की रेडियो तरंग, पराबैंगनी तंरगे और एक्स रे, माइक्रोवेव
इनकी दैर्ध्य 380 नैनोमीटर से 700 नैनोमीटर तक होती है, और इनकी आवृति 400 THZ से 790 THZ होती है, हम इन तरंगों को इन्द्र्धनुष के रंगों में देख सकते है
5) पराबैंगनी (यूवी) तरंगें
यह वह तरंगे है जिनकी तरंग दैर्ध्य प्रकाश तरंगों से कम होती है और एक्स रे और गामा किरणों से लम्बी होती है, इसका दैर्ध्य 10 नैनोमीटर से 400 नैनोमीटर होता है और इसकी आवृति 750 से लेकर 30000 THZ तक हो सकती है
यह मानव आँखों द्वारा नही देखि जा सकती है और पर शूक्ष्म कीड़े उन्हें देख सकते है
यह सूरज तथा तारों से निकलती है, इनका हर तरह के जीवित तथा मृत जीवों पर अलग प्रभाव पड़ता है यह हमारे लिए नुक्सान दायक है, और वही दूसरी तरफ यह विटामिन डी भी पैदा करती है
6) एक्स रे
यह बहुत वस्तुओं से आर पास हो सकती है, यहाँ तक यह इंसानी शरीर से भी पास हो सकती है, इनका उपयोग बहुत तरह से होता है मुख्य रूप से इनका उपयोग हड्डियों के फ्रैक्चर का पता लगाने के लिए, गुर्दों की बीमारी का पता लगाने के लिए और किसी दिल की समस्या का पता लगाने के लिए किया जाता है
इनकी दैर्ध्य 10 नैनोमीटर से 10 पिकोमीटर तक होता है और इनकी आवृति 30 PHZ से लेकर 30 EHZ तक होती है, यह लाइट की गति से चलते है और यह अवशोषण, प्रकीर्णन, प्रतिबिंब और विवर्तन जैसी क्रियाओं के साथ अलग तरीके से व्यवहार करते है
7) गामा रे
यह भी X रे जैसे ही कम दैधर्य और ज्यादा आवृति वाली होती है, इनका जन्म परमाणु नाभिक कणों के रेडियोधर्मी क्षय से होता है
विद्युत् चुम्बकीय तरंग के क्या इस्तेमाल है ?
- इनका इस्तेमाल हर प्रकार के संचार के लिए होता है, मुख्य रूप से सॅटॅलाइट संचार के लिए किया जाता है
- इसका इस्तेमाल राडार में किया जाता है
- इसके इस्तेमाल से सिक्यूरिटी को भी व्यवस्थित किया जाता है
- इसका इस्तेमाल मेडिकल के लिए भी किया जाता है और और उर्जा से गर्मी पैदा करके भी बहुत सारे कामों में इस्तेमाल होता है
FAQs : Vidyut Chumbakiy Tarang Kya Hai
Q1 : विद्युत् क्षेत्र क्या होता है ?
विद्युत् क्षेत्र वह होता है जिसमे किसी भी वस्तु के आने पर उस पर विद्युत् उर्जा का प्रभाव पता चलता है
Q2 : चुम्बकीय क्षेत्र क्या है ?
जब कोई भी वस्तु किसी चुम्बक के करीब आती है तो वह असल में चुम्बक के क्षेत्र में आती है जहाँ पर यह चुम्बक से पप्रभावित होती है
Q3 : विद्युत् क्षेत्र कैसे पैदा होता है ?
विद्युत् क्षेत्र चार्ज से पैदा होते है जिस चीज़ पर जितना चार्ज होगा उससे उतनी ही विद्युत् उर्जा पैदा होगी और उसका विद्युत् क्षेत्र उतना ही ज्यादा स्ट्रोंग होगा
Q4 : चुम्बकीय क्षेत्र कैसे पैदा होता है ?
हर तरह के मैगनेट चुम्बकीय क्षेत्र को जन्म देते है और जिस भी वस्तु से कर्रेंक्ट गुजरती है उस वस्तु में कर्रेंक्ट गोले में चुम्बकीय क्षेत्र भी जन्म लेता है
Q5 : विद्युत् चुम्बकीय क्षेत्र के क्या इस्तेमाल है ?
इनके बहुत से इस्तेमाल है पर इनका मुख्य इस्तेमाल वायरलेस संचार के लिए किया जाता है जिसमे सॅटॅलाइट संचार भी शामिल है
Conclusion
आजके इस आर्टिकल में हमने विद्युत् चुम्बकीय तरंगों के बारे में जाना और यह भी जाना की यह कितने प्रकार की होती है और इनका क्या उपयोग होता है
यह वह तरंगें है जिनमे एल्क्ट्रिक और मैग्नेटिक दोनों फील्ड मौजूद होती है और यह आपस में 90 का कोण बनाती है और इन दोनों के 90 डिग्री पर ही यह तरंग ट्रेवल करती है
बहुत बार मैग्नेटिक फील्ड यानी चुम्बकीय तरंग की मौजूदगी में इलेक्ट्रिक फील्ड यानी विद्युत तरंग को नापा गया है और ऐसा विद्युत तरंग के साथ भी है
जहाँ से विद्युत् उर्जा प्रवाह करती है वही से चुम्बकीय उर्जा भी प्रवाह करती है, कुल मिला के यह एक दुसरे पर निर्भर होते है और इन्ही से मिलके विद्युत् चुम्बकीय तरंगों का निर्माण होता है
हमें आशा है की आपको हमारा यह आर्टिकल Vidyut Chumbakiy Tarang Kya Hai अच्छा लगा होगा हमारे इस आर्टिकल को पूरा पढने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद