Proton ki khoj kisne ki : परमाणु के बारे में तो आपने सुना ही होगा हर धातु, सामान, चीज़ सब परमाणु से ही बने होते है चाहे आप वो अपने घर की, अपनी कुर्सी की, पंखे की की या किसी भी निर्जीव चीज़ की बात करे सबके सब परमाणु से मिलके बने होते है
- सजीव की इकाई कोशिका होती है
- निर्जीव की इकाई परमाणु होती है
इकाई में रसायनिक तत्व के गुण होते है तो क्या आप जानना चाहते है की परमाणु किससे बना है, परमाणु की खोज किसने की, प्रोटॉन की खोज किसने की थी और न्यूट्रॉन और इलेक्ट्रान की खोज किसने की तो इस लेख को शुरवात से अंत तक जरूर पढ़े
जिसमे हम ने बेसिक से एडवांस स्तर की जानकारी साझा करने की कोशिश की है वैसे इस लेख का मुख्य उद्देश्य Proton ki khoj kisne ki यह बताना है लेकिन इस विषय के अलावा परमाणु, न्यूट्रॉन और इलेक्ट्रान के बारे में भी आपको पता होना जरूरी है
इसीलिए इस लेख को शुरवात से अंत तक जरूर पढ़े जहा आप को Atom के बारे में विस्तार में जानकारी प्राप्त होगी
प्रोटॉन की खोज किसने की – Proton Ki Khoj Kisne Ki
परमाणु किससे बनते है – Parmanu kis se milkar banta hai
हर तरह के तथस्थ चाहे वो ठोस, तरस, गैस हो सब परमाणु से ही बनते है यह इतने छोटे होते है की इन्हें नंगी आँखों से नहीं देखा जा सकता है परमाणु का आकार लगभग 1 अगेस्ट्रोम होता है
परमाणु को अंग्रेज़ी में Atom कहा जाता है
- प्रोटोन =Proton
- इलेक्ट्रान=Electron
- नाभिक=Nucleus
- न्यूट्रॉन=Neutron
परमाणु नाभिक और इलेक्ट्रान से मिलके बना होता है, नाभिक प्रोटोन और न्यूट्रॉन से मिलके बना होता है, आप ऊपर दिए चित्र से देख सकते है कि एक परमाणु के अंदर इलेक्ट्रान और नाभिक (प्रोटोन और न्यूट्रॉन) से बना है
इलेक्ट्रान नाकारात्मक विद्युत् आवेश (Negative charge) का होता है तथा ये नाभिक के चारो ओर गोलाकार चक्कर लगाता है,
नाभिक के अंदर मौजूद प्रोटोन साकारात्मक विद्युत् आवेश (positive charge) के होते है और न्यूट्रॉन संतुलित होते है उनपर कोई विद्युत् आवेश नही होता है
न्यूट्रॉन और प्रोटोन नीभिकीय बल से एक दुसरे से जुड़े होते है नाभिकीय बल दुनिया में सबसे बलवान है
प्रोटोन के साकारात्मक विद्युत् आवेश (positive charge) के होने के कारण यह इलेक्ट्रान जो नाकारात्मक विद्युत् आवेश (negative charge) के होते है
उसको अपनी तरफ आकर्षित करता है, आकर्षण बल होने के कारण इलेक्ट्रान नाभिक के आस पास गोलाकार में ही घूमते रहते है
नकारात्मक चार्ज
सकारात्मक चार्ज
परमाणु की खोज किसने की – Parmanu ki khoj kisne ki
परमाणु की खोज जॉन डाल्टन ने 1803 में की थी
इन्होने पहले यह सिद्ध किया की हर पदार्थ छोटे-छोटे कणों से मिलकर बनता है उसके बाद इन्होने अपनी Dalton Theory (डाल्टन सिधांत) से पूरी तरह परमाणु के होने को प्रमाणित किया
हर पदार्थ परमाणु से ही मिलके बने है किसी भी परार्थ की इकाई परमाणु होते है इन्हें और विभाजित करना मुमकिन नही परमाणु का पूरा भार उसके नाभिक में स्थित प्रोटोन और न्यूट्रॉन पर निर्भर करता है
हर पदार्थ में इलेक्ट्रान और प्रोटोन की संख्या बराबर होती है न्यूट्रॉन की संख्या प्रोटोन से ज्यादा होती है और कभी कभी उसके बराबर होती है, परमाणु अन्दर से ज़्यादातर खाली होते है और उसका सारा भार परमाणु के नाभिक पर निर्भर करता है
किसी भी पदार्थ का भार उसके नाभिक के इलेक्ट्रान और प्रोटोन का जोड़ होता है और किसी भी धातु की पहचाने उसके अंदर उपस्थित इलेक्ट्रान की गिनती से की जाती है,
जब भी दो या दो से अधिक परमाणु जुड़ के कोई कॉम्पोनेन्ट बनाते है तो परमाणु एक दुसरे से इलेक्ट्रान लेके या इलेक्ट्रान देके या इलेक्ट्रान साँझा करके बांड बनाते है
अगर कोई परमाणु किसी और परमाणु को इलेक्ट्रान देता है तो वह स्वयं पॉजिटिव बन जाता है क्योंकि उसमे इलेक्ट्रान की कमी की वजह से प्रोटोन ज्यादा हो जाते है और परमाणु पॉजिटिव आयन बन जाता है
वही दूसरी तरफ अगर कोई परमाणु किसी अन्य परमाणु से इलेक्ट्रान ले लेता है तो ऐसे में बह खुद नेगेटिव हो जाता है क्योंकि उस परमाणु में प्रोटोन से ज्यादा इलेक्ट्रान होते है
Dalton theory – डाल्टन सिधांत
डाल्टन सिधांत के अनुसार प्रत्येक पदार्थ सबसे सूक्ष्म कणों से मिलकर बना है इन्ही सूक्ष्म कणों को परमाणु का नाम दिया गया तथा ये भी देखा गया की परमाणु को और छोटा या टुकड़ों में विभाजित नही किया जा सकता है
परमाणु का विभाजन असंभव है हर पदार्थ के परमाणु में उस पदार्थ के सभी गुण, अशुद्धिया पायी जाती है तथा कोई भी पदार्थ उसके परमाणु का समूह होता है
हर पदार्थ के परमाणु दुसरे पदार्थ के परमाणु से अलग होते है पर एक पदार्थ के अंदर पाए जाने वाले सब परमाणु हर तरह से सामान होते है
डाल्टन सिधांत की कुछ मुख्य बातें
- सभी तत्व अविभाज्य छोटे कणों से मिल के बनते है
- एक तत्व के सभी परमाणु रासायनिक आदि सभी तरह से सामान होते है
- अलग अलग तत्व के परमाणु भी अलग-अलग तरह से भिन्न होते है
- परमाणु को न हम बना सकते है और न ही नष्ट कर सकते है हमारी प्रकृति में होने वाली ये एक स्वतंत्र घटना है
- मिश्रित तत्व दो या अधिक तत्वों के परमाणुओं के मिला के बनता है
- परमाणुओं को रासायनिक क्रिया के दौरान एक दुसरे से अलग किया जा सकता है और तो और रसायनिक क्रिया से जोड़ा भी जा सकता है
प्रोटॉन की खोज कब और किसने की थी पूरी जानकारी
आइए जिस विज्ञानिक के प्रयोग के कारण हमने आज Proton ki khoj की उस विज्ञानिक और उसके प्रयोग के बारे में जानते है
जे जे थोमसन का कैथोड रे ट्यूब प्रयोग बहुत प्रचलित हुआ वह धीरे धीरे बहुत प्रसिद्ध होने लगे और विज्ञानिकों के लिए ये प्रयोग अविष्वसनीय इसी लिए काफी विज्ञानिकों ने इसे खुदसे करने का प्रयास किया, इन्ही विज्ञानिकों में से एक विज्ञानिक गोल्डस्टीन (Gold stein) भी थे
गोल्डस्टीन ने भी ये प्रयोग खुदसे करने का प्रयास किया उन्होंने वही सब सेटअप किया जो (ज ज थोमसन) ने किया था
उनको जे जे थोमसन की कही हुई एक बात याद थी की कैथोड रे का स्वभाव कैथोड के प्लेट की रचना, ज्योमेट्री, आकार पर निर्भर नही करता वो बस इस बात पर निर्भर करता है की वो किस चीज़ की बनी है
कैथोड प्लेट किस धातु से बनी है ये यह निश्चित करता है की इलेक्ट्रान कितने अच्छे और कम समय में दिख सकते है
जैसे की अल्युमीनियम एक इसी धातु है जिसके प्रयोग से कम से कम समय में इलेक्ट्रान प्रकाशित हो जाते है
इसीलिए गोल्डस्टीन ने अपना प्रयोग अल्युमीनियम प्लेट से करने का निश्चय किया
गोल्डस्टीन को इस उस समय छेद वाली अल्युमीनियम प्लेट मिली जिन्हें उन्होंने कैथोड की प्लेट की जगह लगा दिया उन्होंने उसी तरह का सेट अप किया जैसे जे जे थोमसन ने किया बस कैथोड के प्लेट की धातु में अल्युमीनियम का प्रयोग किया
प्रयोग करते समय गोल्ड स्टीन ने देखा की प्लेट की छेद के पीछे की तरफ भी प्रकाश था गोल्ड स्टीन ने ये समझा की छेद से कुछ दूसरी तरफ निकल कर ग्लास से टकरा कर चमक रहा है ये अवलोकन जे जे थोमसन ने नही किया था
इस नई अवलोकन को देख कर वह सोचने लगा की यह क्या है
और ये तब ही क्यों हुआ जब कैथोड प्लेट में छेद थे उन्होंने इसको कहा की कोई चीज़ एनोड से कैथोड की तरफ आ रही है
जिसके कारण कैथोड के पीछे प्रकाश हुआ पर यह बात लोगो को गलत लगी क्योंकि उन्होंने कुछ भी सही से नही बताया जैसे जे जे थोमसन ने बताया था गोल्ड स्टीन से पुछा गया अगर से एनोड रे है तो एनोड रे के होने का प्रमाण दीजिए
जैसे जे जे थोमसन ने दिए थे तथा एनोड रे के भी स्वभाव के बारे में बताइए
उन्होंने बहुत प्रयासों से एनोड रे को प्रमाणित करने का प्रयास किया पर उसके लिए किए जाने वाले सब प्रयोग विफल हो गए, गोल्डस्टीन ने निराश होक खुद ही मान लिया की एनोड रे जैसा कुछ होता ही नही है फिर भी हम कैथोड रे के पीछे पड़ी चमक को तो नज़रंदाज़ नही कर सकते
अगर ये एनोड रे नही है तो ये है क्या
गोल्ड स्टीन ने कहा की हमें पता है की परमाणु तठस्थ (neutral) होते है
और हमारे प्रयोग के दौराम हम ये तो समझ ही गए है की इलेक्ट्रान जो की नेगेटिव चार्ज ही यह भी परमाणु के अन्दर मौजूद होता है जो की बहार भी आ सकता है
जे जे थोमसन के प्रयोग में कैथोड रे से इलेक्ट्रान निकले और वह ट्यूब के अंदर बह रही गैस के परमाणुओं से जाके टकरा गए जिसके कारण परमाणुओं में से भी इलेक्ट्रान बहने लगे
अब सोचने की बात ये है की अगर परमाणु न्यूट्रल है और उसमे नेगेटिव चार्ज मौजूद है तो उसको न्यूट्रल रखने के लिए उसमे पॉजिटिव चार्ज भी मौजूद होगा
तथा उसने ये कहा की जब इलेक्ट्रॉन् गैस के परमाणुओं में से इलेक्ट्रान निकाल ले रहे थे तो उस गैस के परमाणु पॉजिटिव चार्ज हो जाते है तथा कैथोड प्लेट में छद होने के कारण वह लगातार ग्लास ट्यूब से टकराकर गर्मी पैदा करते है
जिसके कारण बार बार टकराने से हमें वहाँ पर चमक दिखाई पड़ती है
इस अवलोकन के बाद गोल्डस्टीन ने बताया की परमाणु मे इलेक्ट्रान के साथ पॉजिटिव चार्ज भी होता है जो उसे Neutral करता है
उन्होंने अलग अलग गैसों से अपने प्रयोग और अवलोकन को प्रमाणित करने की कोशिश की पर जब उन्होंने हाइड्रोजन गैस ली जिसका द्रव्यमान सबसे कम होता है
और उसमे एक इलेक्ट्रान मिलता है जब इसपे प्रयोग किया गया तो माना गया की अगर इसमें से एक इलेक्ट्रान बहार निकल गया तो इसमें बस पॉजिटिव चार्ज ही रह गया और इलेक्ट्रान के होने क कारण उसको Neutral करने के लिए पॉजिटिव चार्ज एक भी चाहिए तो इन्होने हाइड्रोजन के इस सबसे कम पॉजिटिव चार्ज है
आगे चलकर अर्नेस्ट रदरफोर्ड(Earnest rutherford) ने 1920 में बहुत से प्रयोग किएऔर इस पॉजिटिव चार्ज को प्रोटोन का नाम दिया और इसकी उपस्थिति को स्पष्ट किया और ये भी बताया की हुद्रोगें के अंदर एक प्रोटोन होता है
अर्नेस्ट रदरफोर्ड ने अपने प्रयोगों से सब एकदम प्रमाणित कर दिया इसीलिए प्रोटोन की खोज का श्रेय इन्हें ही जाता है
न्यूट्रॉन की खोज किसने की – Neutron ki khoj kisne ki thi
हमें ये पता है की परमाणु के केंद्र में प्रोटोन और न्यूट्रॉन रहते है अब सोचने वाली बात ये है की न्यूट्रॉन की खोज किसने की और कैसे ?
न्यूट्रॉन की खोज का श्रेय जेम्स चाडविक (james chadwik) को जाता है इन्होने 1932 में न्यूट्रॉन की उपस्थिति को प्रमाणित किया था
परमाणु का ज्यादातर द्रवमान उसके केन्द्रक में होता है विज्ञानिकों ने एक के अंदर उपस्थित प्रोटोन के मॉस को दुसरे के अंदर उपस्थित प्रोटोन के मान ने नापा तो उन्हें कभी भी दो अलग अलग परमाणु के प्रोटोन का मान सामान नही मिला
और तो और इलेक्ट्रान तो न के बराबर मान का होता है मतलब सारा भार परमाणु के केन्द्रक पर है और केन्द्रक में केवल प्रोटोन नही थे इसका आभास विज्ञानिकों को द्रव्य मान में असमानता देख कर हो गया था
एक पोडियम के श्रोत से अल्फ़ा पार्टिकल को बेरिलियम की प्लेट पर हमला करवाया गया तो देखा गया की उसमे से बहुत सारी रे निकल रही है
उन रे को टेस्ट करने के बाद पता चला की न तो ये पॉजिटिव है न ही नेगेटिव इनपे पे तो कोई चार्ज ही नही है, हर तरह के प्रयोग से देखा गया पर इस निकलने वाली रे पर कोई चार्ज नही है इसीलिए इसे Neutral रे कहा गया
इस प्रयोग को आगे बढाया गया तो और Neutral रे को वैक्स से टक्कर दी और नतीजे हैरान करने वाले थे वैक्स को पास करके प्रोटोन बहुत सारे प्रोटोन निकल रहे है
इसी प्रयोग को ध्यान में रखते हुए और थोड़ी चर्चा और ध्यान के बाद ये बताया गया की ये Neutral रे में न्यूट्रॉन शामिल है
और न्यूट्रॉन ही वो चीज़ है जिसकी वजह से हमें द्रव्य मान में असमानता देखने को मिली थी इनका भार लगभग न्यूट्रॉन के बराबर होता है और इनपर कोई चार्ज नही होता
न्यूट्रॉन और प्रोटोन दुसरे से नाभकीय बल से जुड़े होते है अगर ये नाभकीय बल ना हो तो प्रोटोन एक दुसरे को ही दूर करने लग जाएँगे, ये नाभकीय बल दुनिया का सबसे बलवान बल है इसी के कारण पूरे परमाणु का भार केन्द्रक तक सीमित रहता है क्युकी नाभकीय बल इनको बाँध के रखता है
अब हम इलेक्ट्रान, प्रोटोन, न्यूट्रॉन के खोजकर्ता और इनकी खोज कैसे हुई जा चुके है आइये इनकी कुछ विशेषताओ के बारे में जानते है
इलेक्ट्रान | प्रोटोन | न्यूट्रॉन |
यह नेगेटिव चार्ज के होते है | ये पॉजिटिव चार्ज के होते है | इन पर कोई चार्ज नही होता है |
एक इलेक्ट्रान का भार 9.1×10−31 किलोग्राम होता है | एक प्रोटोन का भार 1.6727×10−27 किलो ग्राम होता है | एक न्यूट्रॉन का भार 1.675×10−27 होता है |
इलेक्ट्रान नाभिक के बाहर मौजूद
होते है |
प्रोटोन नाभिक के अन्दर मौजूद होते है | न्यूट्रॉन भी नाभिक के अन्दर मौजूद होते है |
इलेक्ट्रान की खोज किसने की और कैसे – Electron ki khoj kisne ki thi
सर जे जे थोमसन(J.J THOMSON) जिनका पूरा नाम सर जोसेफ जॉन थोमसन( Sir Joseph John Thomson) ने 1897 में की थी इन्होने एक प्रयोग के दौरान हुई कुछ अजीब चीज़ों से वह इलेक्ट्रान की खोज तक पहुंचे
इलेक्ट्रान की खोज हमारे समाज के लिए बहुत ज़रूरी साबित हुई इलेक्ट्रान की खोज के समय हमें यह तो पता था की विद्युत् आवेश अर्थात चार्ज दो प्रकार के होते है
सकारात्मक विद्युत् आवेश और नकारात्मक विद्युत् आवेश और एक नकारात्मक विद्युत् आवेश दुसरे नकारात्मक विद्युत् आवेश को दूर करता है
वही एक नकारात्मक विद्युत् आवेश दुसरे सकारात्मक विद्युत् आवेश को आकर्षित करता है एक जैसे विद्युत् आवेश एक दुसरे से दूर जाते है चाहे वो सकारात्मक हो या नकारात्मक और वही दूसरी तरफ दो अलग तरह के विद्युत् आवेश एक दुसरे को आकर्षित करते है
अगर दो विद्युत् आवेश को एक साथ रखे तो वो अपने सकारात्मकता और नकारात्मकता के हिसाब से एक दुसरे से दूर या पास होते है हमने एक टेबल के हिसाब से आपको समझाने का प्रयास किया है
- नकारात्मक विद्युत् आवेश = negative charge=नेगेटिव चार्ज
- सकारात्मक विद्युत् आवेश =positive charge=पॉजिटिव चार्ज
नेगेटिव चार्ज | नेगेटिव चार्ज | दूर जाना |
पॉजिटिव चार्ज | पॉजिटिव चार्ज | दूर जाना |
नेगेटिव चार्ज | पॉजिटिव चार्ज | पास आना |
पॉजिटिव चार्ज | नेगेटिव चार्ज | पास आना |
हमें ये नही पता था की नेगेटिव चार्ज जैसी कोई चीज़ होती है पर ये पता नही था की इलेक्ट्रान ही नेगेटिव होता है
एक प्रयोग से इलेक्ट्रान की खोज हुई थी
इस प्रयोग में एक ग्लास की ट्यूब को एक वैकुम पंप के साथ जुड़ा हुआ था जिससे ट्यूब के अंदर के दबाव को कम किया जाता था
और साथ में इस ट्यूब (Tube) में दोनों कोनो पर धातु की पत्तिया(Metallic rod) लगायी गयी थी ये दोनों धातु की पट्टियां आपस में एक हाई वोल्टेज(High voltage) बैटरी से जुड़े होते है इस प्रयोग का आयोजन ऐसे किया गया था
जो ट्यूब की साइड बैटरी की पॉजिटिव साइड से जुड़ा होता है उसे कैथोड कहते है वही दूसरी तरफ जो बैटरी की नेगेटिव साइड से मिला होता है
उसे एनोड कहते है और ये आम बात है की जो ट्यूब की साइड बैटरी के जिस साइड पड़ेगी वो उसी चार्ज की हो जाएगी और जब बैटरी पर Voltage को बढाया गया तब कैथोड से एनोड तक कर्रेंट पाया गया नापने पर
जो Current यहाँ पर पायी गयी वो लगातार बहने वाली कर्रेंट(current) थी अब विज्ञानिक ये सोच कर हैरान हो गए थे की किसी खुले सर्किट में लगातार Current कैसे बह सकती है, विज्ञानिकों ने इस पर खोज शुरू कर दी
विज्ञानिकों को ये तो यकीन हो गया की कुछ तो लगातार एनोड से कैथोड की तरफ या कैथोड से एनोड की तरफ बह रहा है जिसके कारण हमें लगातार बहने वाली Current मिली है,
पर ये बात तय नही थी की जो चीज़ बह रही है वाह कैथोड से एनोड की तरफ बह रहा है या एनोड से कैथोड की तरफ बह रहा है
इसे जानने के लिए कैथोड में एक छोटा सा छेद कर दिया और कैथोड के पीछे फ़्लुओरोसेंट की परत लगा दी ये करने का उद्देश्य यह था की अगर कोई चीज़ एनोड से कैथोड की तरफ आ रही होगी तो छेड़ होने के कारण वह छेद से निकलकर परत पर जाएगी
जिससे वह जगह प्रकाशित होगी या वहाँ पर कोई चमक दिखेगी पर ऐसा कुछ नही हुआ इसका मतलब ये हुआ की जो भी चीज़ लगातार बह रही थी वेह एनोड से कैथोड की तरफ नही बह रही थी
अब उन्होंने यही चीज़ एनोड की तरफ की ये जानने के लिए की क्या कुछ कैथोड से एनोड की तरफ बह रहा है या नही, नतीजे हैरान करने वाले थे क्योकि जब एनोड पर छेद किया गया
और एनोड के पीछे परत चढ़ाई गई तब बैटरी के चलने पर एनोड के पीछे की परत पर एक चमक दिखी जिसका मतलब ये है की जिस भी चीज़ की वजह से हमें लगातार बहने वाली Current इस खुले हुए सर्किट में मिली है वो कैथोड से एनोड की तरफ बह रहा है आसन भाषा में नेगेटिव से पॉजिटिव की तरफ बह रहा है
उन्होंने इस बहने वाली चीज़ को जो कैथोड से एनोड की तरफ लगातार बह रही थी और जिसके कारण हमें लगातार बहने वाली Current मिली उसे कैथोड रे का नाम दे दिया आगे चलके इसी को इलेक्ट्रान नाम दिया गया
इस कैथोड रे को इसे आगे और भी समझ गया और पाया गया की ये सीधा चलता है पर यदि चुब्कीय छेत्र में रखा जाये तो ये देखने को मिलता है की इस रे की दिशा चुम्बकीय छेत्र की पॉजिटिव दिखा में मुड जा रहा है
ये तो बस एक ही सूरत में हो सकता है की कैथोड रे नेगेटिव स्वाभाव की हो आगे पुष्टि के लिए उन्होंने कैथोड रे की सामग्री बदली पर उसका स्वभाव वही साबित हुआ
आगे चलके हमें पता चला की हमारी कैथोड रे अर्थात इलेक्ट्रान सामग्री (Material) पर निर्भर नही है, आगे चलके ये साबित हुआ के ये इलेक्ट्रान सभी परमाणु का बुनियादी तत्व है मटेरियल चाहे जो भी हो पर हर तरह के परमाणु होता ही होता है बस उनकी मात्रा अलग हो सकती है
FAQs – Proton ki khoj kisne aur kab ki thi
Q. न्यूट्रॉन की खोज किसने की थी?
न्यूट्रॉन की खोज ब्रिटिश विज्ञानिक जेम्स चैडविक ने की थी
Q. गोल्डस्टीन ने किसकी खोज की थी
गोल्ड स्टीन ने हमको Proton होता है ये बताया था पर वह प्रयोग में प्रमाणित नही कर पाए थे
Q. इलेक्ट्रान न्यूट्रॉन और प्रोटोन के खोज करता कौन है ?
- इलेक्ट्रान की खोज जे जे थोमसन ने की थी
- प्रोटोन की खोज अर्नेस्ट रदरफोर्ड ने की थी
- न्यूट्रॉन की खोज जेम्स चैडविक ने की थी
Q. प्रोटोन पर कौनसा चार्ज होता है ?
प्रोटोन पर पॉजिटिव चार्ज होता है
Q. प्रोटोन की खोज कब हुई ?
प्रोटोन की खोज 1930 में की गयी
Q. गोल्डस्टीन ने या रदरफोर्ड ने प्रोटॉन खोज की थी ?
प्रोटॉन की खोज का श्रेय अर्नेस्ट रदरफोर्ड को जाता है, जिन्होंने यह साबित किया कि हाइड्रोजन परमाणु (एक प्रोटॉन) का नाभिक वर्ष 1917 में अन्य सभी परमाणुओं के नाभिक में मौजूद है
Conclusion
आज के लेख में हम ने जाना प्रोटॉन (Proton) की खोज अर्नेस्ट रदरफोर्ड (Ernest Rutherford) द्वारा सन् 1920 में हूई थी, इसके अलावा इस ब्लॉग लेख में आपने Electron की खोज किसने की थी, Proton ki khoj kisne ki thi के बारें में जाना।
आशा करते है आप Who discovered the proton in Hindi में पूरी जानकारी जान चुके होंगे।
अगर आपका इससे संबन्धित किसी भी तरह का सवाल है तब नीचे कमेन्ट में पूछ सकते है जिसका जवाब जल्द से जल्द दिया जायेगा।
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