Vidyut dhara ka si Matrak – विधुत धारा का SI मात्रक क्या होता है

Vidyut dhara ka si matrak : एस आई यूनिट (SI) का अर्थ होता है इंटरनेशनल स्टैंडर्ड अर्थात एक ऐसी इकाई एक ऐसा स्टैंडर्ड जिसे पूरे विश्व ने स्वीकारा है यानी हर देश में उसी इकाई से चीज़ों को नापा जाता है

इंटरनेशनल स्टैंडर्ड के द्वारा ही नापने की इकाई, समय की इकाई, विद्युत प्रवाह की इकाई आदि तय की गई हैं
हमारी कुल 7 मुख्य इकाइयां हैं लंबाई, समय, सुब्स्तांस का भार, विद्युत धारा, तापमान, लुमिनस इंटेंसिटी और भार

इंटरनेशनल स्टैंडर्ड (SI) के द्वारा ही लंबाई, तापमान आदि का इकाई तय की गई है और पूरे विश्व में इस इकाई को ही इस्तेमाल किया जाता है इसी कारण इसको इंटरनेशनल इकाई कहते हैं हमारी मुख्य इकाइयों का भी इंटरनेशनल स्टैंडर्ड है जो कि इस प्रकार है


लंबाईमीटर 

समयसेकंड

अमाउंट ऑफ सब्सटेंसमॉल

विद्युत धारा एंपियर

तापमानकेल्विन

लुमिनुस इंटेंसिटीकांडला

भारकिलोग्राम 


अगर हम विद्युत धारा की बात करें तो इसे इंग्लिश में इलेक्ट्रिक करंट कहते हैं और यह हमारे इलेक्ट्रॉनिक की नींव है हमारी इलेक्ट्रॉनिक पूरी की पूरी इलेक्ट्रिक करंट पर चलती है यह इलेक्ट्रॉन के प्रवाह से चलती है और इलेक्ट्रॉन के प्रभाव के दर को इलेक्ट्रिक कर्रेंट कहा जाता है

आज हम विद्युत् धारा के बारे में पढेंगे vidyut dhara ka si matrak क्या है, इसको कैसे नापते है, विद्युत् धारा के प्रकार आदि के बारे में भी जानेंगे

 

 विद्युत् धारा क्या है – Current kya hai  

  • विद्युत् धारा = electric current 

आवेशित कणों की धारा को विद्युत धारा कहते हैं विद्युत धारा किसी कंडक्टर या किसी चीज के माध्यम से प्रवाह करती है

विद्युत् धारा की परिभाषा: इलेक्ट्रॉन्स के बहने के दर को इलेक्ट्रिक कर्रेंट कहा जाता है 

विद्युत धारा में जो कण प्रवाह करते हैं उनको हम चार्ज(charge) अर्थात आवेश कहते हैं, एक कंडक्टर में एक से ज्यादा कण हो सकते हैं वैसे तो किसी भी सर्किट में या फिर जहां पर भी करंट प्रवाह करता है वहां पर इलेक्ट्रॉन ही  प्रवाह करते हैं

ऐसा मैटेरियल जो करंट को जाने भी दे और रोके भी यानी वह करंट को कुछ मात्रा में जाने दो और कुछ मात्रा में रोक ले ऐसे मटेरियल को सेमीकंडक्टर कहते हैं और सेमीकंडक्टर मटेरियल में बहने वाले कण भी पॉजिटिव चार्ज और नेगेटिव चार्ज दोनों के होते है

 

Vidyut dhara ka si matrak
Vidyut dhara ka si matrak in Hindi

Vidyut dhara ka si matrak – विधुत धारा का SI मात्रक क्या होता है

  • electric current ki SI unit = ampere (एम्पेयर) 

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कर्रेंट SI यूनिट 

एंपियर को निर्धारित एलिमेंट्री चार्ज यानी इलेक्ट्रॉन की इकाई के द्वारा नापा जाता है जब इलेक्ट्रान की इकाई को समय की इकाई से विभाजित किया जाता है तब हमें इलेक्ट्रिक करंट यानी विद्युत धारा  की इकाई एंपियर मिलती है जिसे कर्रेंट की स्टैंडर्ड यूनिट भी कहा जाता है

  • ampere = 1 electron / 1 second
  • ampere = 1.602 176 634 ×10−19 / 1 second
  • 1 ampere = 1.602 176 634 ×10−19  electrons

एंपियर को कैसे दर्शाया जाता है – current ka symbol

एंपियर को ‘I’ की सहायता से दर्शाया जाता है ये इसका चिन्ह हैं अर्थात जहां पर भी हम कर्रेंट को दर्शाते है वहाँ पर हम इस चिन्ह के माध्यम से दर्शाते है करंट के सिंबल को फ्रेंच भाषा से लिया गया है

फ्रेंच में एंड्रे मारियो एंपियर André-Marie Ampère को करंट कहते है जहाँ से ‘I’ शब्द लिया गया है जो current को दर्शाता है

I = कर्रेंट = current
current की इकाई = एंपियर


vidyut dhara ka si matrak को कैसे निकाला जाता है ampere ko kaise nikala jata hai

  • ohm ke law se (ओम के नियम से )

एंपियर को ओम का नियम का इस्तेमाल करके भी निकाला गया है ओम के नियम में वोल्टेज की इकाई को रेजिस्टेंस की इकाई से भाग देके current की इकाई अर्थात एंपियर निकाला जाता है और यहाँ पर voltage और resistance की भी इंटरनेशनल इकाई (SI) का ही प्रयोग किया जाता है


current = A = voltage /resistance =वोल्टेज/प्रतिरोध = V/Ω


  • कर्रेंट की परिभाषा से 

प्रवाह करने वाले एल्क्ट्रोंस की संख्या को यदि उसके प्रवाह करने के समय से विभाजित किया जाये तो वह इलेक्ट्रिक कर्रेंट कहलाता है

कर्रेंट= इलेक्ट्रान की संख्या / समय = number of electrons/time

  • ampere= coulomb/second
    I = C /T

coulomb= इलेक्ट्रान की इकाई
second = समय की इकाई

vidyut dhara ka si matrak = एम्पेयर


अर्थात विद्युत् धारा का प्रवाह (electric current ki disha )

विद्युत धारा का निर्माण करने वाले कणों को आवेशित कण कहा जाता है यह आमतौर पर धातु या तारों से गुजरते हैं और कुछ मुख्य कंडक्टर हैं

जिससे कि विद्युत धारा (इलेक्ट्रिक करंट) गुजर सकती है इसी तरह से कर्रेंट प्रवाह करती हैं इनको प्रवाह करने के लिए मीडियम की आवश्यकता होती

इलेक्ट्रॉन न्यूक्लियस से आते हैं न्यूक्लियस को नाभिक कहा जाता है नाभिक में पॉजिटिव आवेश (चार्ज) एक ही जगह पर रहते हैं सिर्फ और सिर्फ इलेक्ट्रॉन ही एक जगह से दूसरी जगह प्रवाह कर सकते हैं जिसके कारण यह ही इलेक्ट्रिसिटी के प्रवाह का कारण बनते हैं

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इलेक्ट्रॉन ही एक धातु या कंडक्टर से दूसरे धातु ए कंडक्टर में जाते हैं इनके जाने के प्रवाह को समय के हिसाब से देखें तो करंट कहा जाता है

और तो और पॉजिटिव और नेगेटिव आवेश एक साथ भी मौजूद हो सकते हैं ऐसा आमतौर पर इलेक्ट्रोकेमिकल सेल में होता है जहां पर पॉजिटिव और नेगेटिव साथ में होते हैं

सकारात्मक आवेश एक तरह का विद्युत धारा प्रदान करती है और नकारात्मक आवेश दूसरी तरह की विद्युत धारा प्रदान करती है इन दोनों का किसी भी सर्किट में एक ही जैसा काम होता है और यह एक दूसरे के ऑपोजिट होती हैं हर सर्किट में पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों ही आवेश मिल जाते हैं


विद्युत धारा के उलटे दिशा में आपको पॉजिटिव आवेश मिल जाएगा और जिस दिशा में वह जा रहे हैं उस दिशा में आपको नेगेटिव आवेश मिल जाएगा


कन्वेंशनल करंट एक प्रकार की करंट है जिसे हमने दिशा निर्धारण के अनुमान के लिए रखा है कन्वेंशनल करंट में हम यह मानते हैं कि जिस दिशा में करंट बह रही है

वह सकारात्मक आवेश के बहने की दिशा है यानी कि अगर हमें यह जानना है कि इलेक्ट्रिक करंट किस दिशा में बह रही है तो हम कह सकते हैं कि इलेक्ट्रिक करंट हमेशा  कन्वेंशनल करंट  के विपरीत दिशा में बहती है

क्योंकि इलेक्ट्रिक करंट इलेक्ट्रॉन के बहाव को कहा जाता है और कन्वेंशनल करंट पॉजिटिव आवेश को दर्शाती है

यानी यदि हमें इलेक्ट्रिक करंट की दिशा निर्धारित करनी है तो हमें कन्वेंशन करंट की उल्टी दिशा लेनी पड़ेगी


ओम का नियम और कर्रेंट का सम्बन्ध (ohm ka niyam)

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ओम का नियम करंट के बारे में जानने के लिए, उसको निकालने के लिए मुख्य नियम है यह नियम दो बिंदुओं के बीच एक कंडक्टर के माध्यम से बनाया गया है, दो बिंदुओं के बीच यदि सामान अवस्थाओं में नापा जाये तो कर्रेंट वोल्टेज का प्रतिरोधन से विभाजन होता है

अर्थात वोल्टेज का प्रतिरोधन से विभाजित किया जाये तो हमें current मिल जाता है  vidyut dhara ka si matrak भी ओम के नियम से निकलता है

 

  • I = V/R
  • कर्रेंट =वोल्टेज /प्रतिरोधन

विद्युत् धारा के प्रकार- current ke prakar

करंट के दो प्रकार है

  1. अल्टरनेटिंग करंट
  2. डायरेक्ट करंट

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अल्टरनेटिंग करंट का सिंबल 

अल्टरनेटिंग करंट में करंट की दिशा समय-समय पर बदलती रहती है यानी समय-समय पर करंट की दिशा विपरीत हो जाती है अल्टरनेटिंग करंट बहुत ही मुख्य करंट है हमारे घरों में भी अल्टरनेटिंग करंट ही आती है, अल्टरनेटिंग करंट के बहुत सारे लाभ है हमारे बिजली के खंभों में, ऑडियो और वीडियो सिगनल भी सब अल्टरनेटिंग करंट के ही बने होते हैं

अल्टरनेटिंग करंट का बस एक नुकसान है अल्टरनेटिंग करंट में हम करंट को एकत्र नहीं कर सकते हैं करंट को एकत्र करने के लिए हमें अल्टरनेटिंग करंट को डायरेक्ट कर्रेंट में बदलना पड़ेगा

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डायरेक्ट करंट का सिंबल 

यह एक ऐसा कर्रेंट है जिसमें करंट की दिशा एक जैसी ही रहती है, दिशा समय के साथ बदलती नहीं है और इसको कांस्टेंट करें भी कहा जाता है

यह करंट को एकत्र करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है वैसे तो आज के समय में इसका इस्तेमाल बहुत कम होता है क्योंकि हर जगह अल्टरनेटिंग करंट का ही इस्तेमाल होने लग गया पर कर्रेंट को एकत्र करने के लिए डायरेक्ट करंट का इस्तेमाल होता है

डायरेक्ट करंट का इस्तेमाल बैटरी थर्मोकपल, सोलर सेल, डायनेमो कंप्यूटर, टाइप इलेक्ट्रॉनिक मशीन आदि  आदि में स्रोत के रूप में किया जाता है डायरेक्ट करंट को पहले के समय में गलवानिक करंट भी कहते थे


विद्युत् कर्रेंट को कैसे नापा जाता है 

करंट को नापने के लिए एक यंत्र का निर्माण किया गया जिसे अमीटर कहते हैं

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अमीटर

विद्युत धारा को गलवानोमीटर से भी नापा जाता है पर गलवानोमीटर सिर्फ और सिर्फ डायरेक्ट करंट को नापने के लिए ही इस्तेमाल हो सकता है यह अल्टरनेटिंग करंट को नहीं नाप सकता है

जिसके कारण यह सही प्रकार से कर्रेंट नही नाप पाता है और यहीं अमीटर काम आता है इसीलिए अमीटर को कर्रेंट नापने के लिए मुख्य रूप से इस्तेमाल किया जाता है

करंट से पैदा होने वाले चुंबकीय क्षेत्र का पता लगाने के लिए करंट को नापना बहुत आवश्यक है इस अवस्था में बिना करंट के प्रवाह को तोड़े नापने के लिए कुछ तरीकों का इस्तेमाल होता है जिनके नाम इस प्रकार हैं

  1. शंट रेसिस्टर्स
  2. वर्तमान सेंसर
  3. ट्रांसड्यूसर ट्रांसफॉर्म
  4. हॉल प्रभाव

कर्रेंट से मैग्नेटिक धारा भी जन्म लेती है 

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बहुत सारे प्रयोगों से यह साबित हुआ है कि करंट से मैग्नेटिक फील्ड भी पैदा होती है यानी करंट जिस दिशा में जा रहा होता है उसके गोलाकार की डायरेक्शन में मैग्नेटिक फील्ड पैदा होती है

करंट और मैग्नेटिक फील्ड दोनों के होने की वजह से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन होता है और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स  पैदा होती है विद्युत् धारा का si मात्रक एम्पेयर होता है 


FAQs – Vidyut dhara ka si matrak kya hota hai 

सवाल: विद्युत धारा का विमीय सूत्र क्या होता है?

I = Q/T

विद्युत् धरा अर्थात इलेक्ट्रिक current का एस आई इकाई एंपियर है
प्रतिरोध का क्या सूत्र है?

प्रतिरोध का  सूत्र [ML²T⁻³A⁻² ] है


सवाल: विभवांतर का मात्रक क्या है?

विभवांतर को अंग्रेज़ी में voltage कहते है और इसका एस आई इकाई वाल्ट है जिसे V के चिन्ह से दर्शाया जाता है


सवाल: वोल्टेज, प्रतिरोध और कर्रेंट  क्या है ?

  • voltage दो विन्दुओं के बीच में प्रभारी का अंतर होता है जिसे V से प्रदर्शित करते है और इसकी इकाई वाल्ट होती है
  • इलेक्ट्रान के बहने के दर को कर्रेंट कहते है इसे I से दर्शाया जाता है और इसकी इकाई एंपियर है
  • प्रतिरोध  का विरोध करने वाला बल होता है इसको R से दर्शाया जाता है इसकी इकाई ओम है

सवाल: प्रतिरोध के नियम कितने है ?

अभी तक तो प्रतिरोध के कुल चार नियम है


सवाल: 1 वाल्ट में कितने वाट होते है ?

1 वाल्ट में 100 वाट होते है

 

Conclusion

कर्रेंट की सबसे छोटी इकाई को एम्पेयर कहते है जो की एक इंटरनेशनल स्टैण्डर्ड है, विद्युत् धारा से चुम्बकीय धारा भी जन्म लेती है

और इन दोनों के मिलन से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड का जन्म होता है जिसके कारण ही आजके समय में हम सॅटॅलाइट तक संपर्क करने के काबिल हो पाए है

इलेक्ट्रिक कर्रेंट इलेक्ट्रान के बहाव को समय के साथ बताती है और कर्रेंट भी दो प्रकार के होते है

डायरेक्ट कर्रेंट और अल्टरनेटिंग करंट इन दोनो के बीच सबसे बड़ा फरक ये है की डायरेक्ट कर्रेंट समय के साथ अपनी दिशा नही बदलती वही दूसरी तरह अल्टरनेटिंग करंट  अपनी दिशा समय के साथ बदलती है

हमने Vidyut dhara ka si matrak से जुड़े सभी चीज़ों को इस आर्टिकल के ज़रिये बताने का प्रयास किया है अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा तो तो share करे और अपने विचार comment box के ज़रिये बताये,  धन्यवाद

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